भीलवाड़ा में ज़मीन विवाद बना आत्महत्या की वजह: बहन की रिपोर्ट पर चार रिश्तेदारों पर केस

    05-Jul-2025
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भीलवाड़ा, राजस्थान
– ज़िले के रोपां गांव में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय शिविर के दौरान हुई एक दर्दनाक घटना ने क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। बूंदी ज़िले के बरुंधन गांव निवासी 28 वर्षीय नित्यानंद उर्फ नितेश सनाढ्य ने गुरुवार को शिविर में ज़हरीली वस्तु खाकर आत्महत्या कर ली। शुक्रवार को मृतक की बहन नीतू सनाढ्य ने पारोली पुलिस थाने में चार रिश्तेदारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि इन्हीं लोगों ने नित्यानंद को आत्महत्या के लिए मजबूर किया।


मृतक ने शिविर में ही निगला ज़हर

घटना की शुरुआत गुरुवार को हुई जब नित्यानंद अपने मित्र भीमराज मीणा के साथ रोपां गांव पहुंचा। वहां राजकीय विद्यालय में आयोजित प्रशासनिक शिविर में उसने एक अधिकारी से मुलाकात की और कुछ दस्तावेज भी सौंपे। इसके कुछ देर बाद उसने शिविर परिसर में ही ज़हरीली वस्तु का सेवन कर लिया। गंभीर हालत में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।


बहन ने चार परिजनों को ठहराया ज़िम्मेदार

नित्यानंद की मौत के बाद उसकी बहन नीतू सनाढ्य जिला अस्पताल पहुंचीं और पारोली थाने में सुनील, भागचंद, कमल और सोभाग बाई के खिलाफ रिपोर्ट दी। रिपोर्ट के मुताबिक, ये चारों रिश्तेदार रोपां गांव में स्थित पैतृक जमीन नित्यानंद को देने से इनकार कर रहे थे और लगातार उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। इस तनाव के चलते नित्यानंद ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।


वायरल हुआ चार पेज का सुसाइड नोट

मृतक द्वारा लिखा गया चार पन्नों का सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस नोट में नित्यानंद ने अपनी आत्महत्या के पीछे के सभी कारण स्पष्ट रूप से लिखे हैं। उसने बताया कि अंतरजातीय विवाह करने के बाद उसे उसके ही घर-ज़मीन से बेदखल कर दिया गया। जमीन पर कथित रूप से अतिक्रमण कर लिया गया और जब उसने इस संबंध में शिकायतें कीं, तो प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

सुसाइड नोट में नित्यानंद ने चार लोगों के नाम लिखकर उन्हें सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया — भागचंद, कमल, सुनील और सोभाग बाई। उसने लिखा कि लगातार प्रताड़ना, बेदखली और प्रशासन की चुप्पी ने उसे इस कदम के लिए मजबूर कर दिया।


प्रशासन पर भी लगाए गंभीर आरोप

सुसाइड नोट में नित्यानंद ने न सिर्फ अपने परिजनों पर बल्कि प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने लिखा कि तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी, एसएसओ और जांच अधिकारी सभी ने विधायक के दबाव में आकर कोई कार्रवाई नहीं की। “मैंने कई बार आवाज़ उठाई, लेकिन सब ने मुझे अनदेखा किया,” उसने लिखा।


परिवार पर टूटा दुःखों का पहाड़

नित्यानंद अपने परिवार का इकलौता बेटा था। उसके पिता मदनलाल सनाढ्य पहले ही स्वर्गवासी हो चुके हैं। पिता के निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी नित्यानंद के कंधों पर थी। उसकी मां, बहन और गर्भवती पत्नी आज गहरे सदमे में हैं। नित्यानंद ने इसी वर्ष 5 मार्च को अंतरजातीय विवाह किया था। अब उसकी पत्नी गर्भवती है और परिवार पूरी तरह से टूट चुका है।

सुसाइड नोट की अंतिम पंक्तियां कर गईं भावुक

सुसाइड नोट के आख़िरी हिस्से में नित्यानंद ने लिखा —

"मुस्कान देख ले, मैंने वादा निभाया है। गांव जाकर कोई झगड़ा नहीं किया। भले ही ज़िंदगी हार गया, पर वादा नहीं तोड़ा। शायद ईश्वर को मेरा यह सफर यहीं तक मंजूर था। मेरे बच्चे को रोपां गांव में कदम मत रखने देना। नीतू और मम्मी का खयाल रखना।"

यह पंक्तियां पढ़कर हर कोई भावुक हो रहा है और सोशल मीडिया पर नित्यानंद को इंसाफ दिलाने की मांग उठ रही है।



पुलिस जांच शुरू, कार्रवाई की मांग

पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया है। पारोली थाना प्रभारी प्रभातीलाल मीणा ने बताया कि मामले की जांच प्रारंभ कर दी गई है और बहन द्वारा दिए गए साक्ष्यों के आधार पर सभी पहलुओं की जांच की जाएगी।

इस घटना ने ज़मीन विवाद और प्रशासनिक लापरवाही जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों को उजागर कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस और प्रशासन नित्यानंद को न्याय दिलाने में कितनी संवेदनशीलता और तत्परता दिखाते हैं।