सरदारगढ़ (राजसमंद) - सरदारगढ़ पंचायत क्षेत्र के झल्डी फाटक एरिया में एक रोमांचक घटना सामने आई जब शनिवार-रविवार की रात को एक पांच वर्षीय नर तेंदुआ बकरी का शिकार करने के बाद एक आवासीय मकान में घुस गया। मकान मालिक की सूझबूझ और वन विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण इस घटना का सुखद अंत हुआ।
रात करीब तीन बजे जब अधिकांश लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब यह असामान्य घटना घटी। मकान मालिक जोहर सिंह राजपूत ने बताया कि पहले तेंदुए ने उनके घर के पास बंधी एक बकरी का शिकार किया, उसके बाद वह खिड़की से छलांग लगाकर सीधे कमरे में घुस गया।
"रात में अचानक घर में खटपट की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली। पहले तो लगा कि कोई चोर घर में घुसा है, लेकिन जब मैंने देखा कि एक जानवर खिड़की से छलांग लगाकर कमरे में आया है तो मैं चौंक गया," जोहर सिंह ने घटना का वर्णन करते हुए कहा।
इस खतरनाक स्थिति में जोहर सिंह ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए तुरंत कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। उन्होंने बिना देरी किए सरदारगढ़ पुलिस चौकी को इस घटना की सूचना दी। यह निर्णय न केवल उनकी सुरक्षा के लिए बल्कि तेंदुए की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुआ।
सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन तुरंत एक्टिव हो गया। आमेट नाके से उगमचंद बैरवा और बिनोल नाका प्रभारी अशोक वैष्णव तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति का सही आकलन करके वन विभाग के अधिकारियों को तत्काल सूचना दी, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत हो सकी।
क्षेत्रीय वन अधिकारी लादूलाल शर्मा के निर्देशन में एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया गया। राजसमंद गश्ती दल के रेंजर सत्यानंद गरासिया के नेतृत्व में ट्रैंकुलाइज टीम सुबह मौके पर पहुंची। इस टीम में सुरेंद्रसिंह शक्तावत, पन्नालाल कुमावत, घनश्याम पुर्बिया, तेजपाल और महेंद्र सिंह शामिल थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन आसान नहीं था। लगभग साढ़े चार घंटे की निरंतर कोशिशों के बाद सुबह साढ़े सात बजे वन विभाग के सुरेंद्र सिंह शक्तावत ने तेंदुए को सफलतापूर्वक ट्रैंकुलाइज किया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विशेष सावधानी बरती गई ताकि न तो तेंदुए को कोई नुकसान हो और न ही आसपास के लोगों को कोई खतरा हो।
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सैकड़ों ग्रामीण मौके पर एकत्रित हुए। उल्लेखनीय बात यह रही कि सभी ग्रामीणों ने अनुशासन बनाए रखा और वन विभाग की टीम का भरपूर सहयोग किया। इस सामुदायिक भावना ने रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सफल रेस्क्यू के बाद तेंदुए को पिंजरे में सुरक्षित कैद किया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तेंदुए की हालत सामान्य है और उसे कोई चोट नहीं आई है। पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण के बाद तेंदुए को उसके प्राकृतिक आवास रावली टाटगढ़ में सुरक्षित छोड़ दिया गया।
यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते मामलों को दर्शाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास में कमी के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इस मामले में सभी पक्षों की सूझबूझ और सहयोग से एक संभावित खतरनाक स्थिति को बिना किसी नुकसान के सुलझा लिया गया।
वन विभाग के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि यदि कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े तो घबराएं नहीं बल्कि तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचना दें।