JM Financial की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रिसिटी की मांग लगातार बढ़ रही है और इसके चलते एक्सचेंज-बेस्ड बिजली ट्रेडिंग भी तेज़ी से बढ़ रही है। FY25 से FY28 के बीच IEX पर ट्रेड होने वाले वॉल्यूम में हर साल औसतन 13 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। इससे कंपनी की कमाई और मुनाफे में भी 14-16 फीसदी की बढ़त हो सकती है।
रिपोर्ट बताती है कि शॉर्ट-टर्म पावर मार्केट, जो अभी भारत के कुल बिजली उत्पादन का केवल 7% है, वह 18% की दर से बढ़ रहा है। इसके उलट, कुल मांग की वृद्धि दर 5-6% ही है। यह अंतर IEX के लिए अवसरों से भरा हुआ है, क्योंकि कंपनी इस सेगमेंट में पहले से ही 84% हिस्सेदारी रखती है।
इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी, वर्चुअल PPA जैसे इनोवेटिव टूल्स और मौसम में हो रहे बदलावों के कारण कई राज्य अब शॉर्ट-टर्म बिजली की खरीद की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, जिसका सीधा लाभ IEX को मिलेगा।
हाल ही में CERC जैसी रेगुलेटरी एजेंसियों ने मार्केट कपलिंग की बात की है, जिसका मकसद पूरे देश में बिजली की कीमतों और आपूर्ति को केंद्रीकृत करना है। हालांकि, JM Financial मानती है कि यह प्रक्रिया निकट भविष्य में पूरी तरह लागू नहीं होगी, जो IEX के लिए फिलहाल राहत की बात है।
IEX सिर्फ एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि इनोवेशन का हब बन चुका है। कंपनी RE सर्टिफिकेट्स, एनर्जी सेविंग सर्टिफिकेट्स जैसे उत्पाद भी देती है। FY24 में कंपनी ने पहली बार 100 बिलियन यूनिट्स का आंकड़ा पार किया और मई 2025 में 10,946 MU की ट्रेडिंग की, जो साल-दर-साल 14% अधिक है।
विशेष रूप से रियल-टाइम मार्केट में 42% की शानदार बढ़त दर्ज हुई है, जो अब तक का सबसे बड़ा मासिक वॉल्यूम रहा।
(डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट सिर्फ सूचना के लिए है। निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। )