तेलंगाना की केमिकल फैक्ट्री में धमाका: लापरवाही की आग ने निगली 8 जिंदगियां, कई घायल

Pratahkal    30-Jun-2025
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केमिकल फैक्ट्री


तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में सोमवार को हुए एक भीषण औद्योगिक हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। पटंचेरू के पास स्थित पासमैलाराम औद्योगिक क्षेत्र की एक केमिकल फैक्ट्री में हुए जोरदार विस्फोट ने 8 मजदूरों की जान ले ली, जबकि 26 से अधिक श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। फैक्ट्री में काम कर रहे कुल 61 लोगों में से कई अब भी लापता बताए जा रहे हैं। इस हादसे ने न केवल श्रमिक सुरक्षा के सवालों को उजागर किया है, बल्कि सरकार और प्रशासन की निगरानी प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।


धमाके का मंजर: फैक्ट्री बनी मौत का कुआं

केमिकल फैक्ट्री में काम कर रहे श्रमिकों को शायद ही अंदाजा रहा होगा कि कुछ ही पलों में उनकी दुनिया बदलने वाली है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रिएक्टर में अचानक तेज धमाका हुआ जिससे आसपास की दीवारें और उपकरण उड़ गए। फैक्ट्री परिसर में चीख-पुकार मच गई। आग की लपटें इतनी भयानक थीं कि कई मजदूर वहीं फंस गए और कुछ जलकर बुरी तरह घायल हो गए।

फायर डिपार्टमेंट को तुरंत सूचना दी गई, जिसके बाद राहत और बचाव कार्य के लिए 11 दमकल गाड़ियाँ मौके पर भेजी गईं। हालांकि, आग पर काबू पाने में काफी वक्त लग गया और इस दौरान कई लोग अंदर फंसे रहे।



प्रशासन का दावा और वास्तविकता

जिला प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राहत कार्य तेजी से चल रहा है और फंसे लोगों को बाहर निकालने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि केमिकल फैक्ट्री में सुरक्षा के बुनियादी इंतज़ाम न के बराबर थे। मजदूरों के लिए न तो आग से बचाव के पर्याप्त उपकरण थे और न ही कोई आपातकालीन निकासी व्यवस्था।



पीएम मोदी और नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए ट्विटर (अब X) पर लिखा, "तेलंगाना के संगारेड्डी में एक फैक्ट्री में आग लगने की घटना में लोगों की मौत से दुखी हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।" प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता देने की घोषणा की गई।

वहीं तेलंगाना के पूर्व मंत्री और बीआरएस नेता टी. हरीश राव ने सरकार से मांग की कि मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ और घायलों को ₹50 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि फैक्ट्री में प्रशिक्षित और कुशल श्रमिकों की कमी है, जिसकी वजह से ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं।


भाजपा और कांग्रेस का बयान

भाजपा प्रवक्ता एनवी सुभाष ने फैक्ट्री हादसे पर दुख जताया और कहा कि "यह जरूरी है कि जांच की जाए कि क्या इस केमिकल फैक्ट्री के पास सभी जरूरी लाइसेंस थे। यदि कोई लापरवाही पाई जाती है, तो कंपनी प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"

कांग्रेस पार्टी की तरफ से तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने हादसे पर गहरा दुख जताया और घायल श्रमिकों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।


सुरक्षा पर उठते सवाल

यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि देश की औद्योगिक इकाइयों, विशेषकर केमिकल फैक्ट्रियों में सुरक्षा मानकों को लेकर कितनी लापरवाही बरती जा रही है। संगारेड्डी की यह केमिकल फैक्ट्री पहले भी कई बार शिकायतों के घेरे में रही है, लेकिन कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

केमिकल फैक्ट्रियों में रिएक्टर और अन्य उपकरणों के संचालन में अत्यंत सतर्कता की आवश्यकता होती है। यदि इन इकाइयों में प्रशिक्षित स्टाफ और नियमित सुरक्षा ऑडिट की व्यवस्था नहीं की जाती, तो इस तरह की घटनाएँ दोहराई जाती रहेंगी।


फैक्ट्री प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की मांग

विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने सुरक्षा नियमों की अनदेखी की, जिससे यह हादसा हुआ। बीआरएस नेता के.टी. रामा राव ने कहा, "फैक्ट्री प्रबंधन को श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए थी। मैं सरकार से मांग करता हूँ कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सभी केमिकल फैक्ट्रियों का सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए।"

तेलंगाना के संगारेड्डी जिले की इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि केमिकल फैक्ट्रियों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। जब तक सरकार और फैक्ट्री प्रबंधन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक मजदूरों की जानें इसी तरह से दांव पर लगती रहेंगी। इस हादसे की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके।

इस घटना ने न केवल आठ परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि औद्योगिक सुरक्षा के खोखले दावों की पोल भी खोल दी है। अब वक्त आ गया है कि सरकार सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करे — ताकि देश की केमिकल फैक्ट्रियाँ असल में सुरक्षित बन सकें।