डोडाचूरा तस्करी में उदयपुर का तस्कर गिरफ्तार...

73 किलो से अधिक अफीम तस्करी के मामले में बड़ा खुलासा

    16-Jun-2025
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राजस्थान की पुलिस ने अफीम और डोडा-चूरा की तस्करी के एक बड़े मामले में उदयपुर का तस्कर रमेश डांगी उर्फ धर्मा डांगी को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी एक व्यापक तस्करी नेटवर्क के खुलासे का हिस्सा है जिसमें 73 किलो 220 ग्राम डोडा-चूरा जब्त किया गया था।


मामले की शुरुआत और पहली गिरफ्तारी

यह पूरा मामला 17 मई को शुरू हुआ था जब मांडल पुलिस ने चंडीगढ़ निवासी प्रदीप कुमार वर्मा (42) को एक कैंटर गाड़ी में दो कट्टों में छुपाए गए 73 किलो 220 ग्राम डोडा-चूरा के साथ गिरफ्तार किया था। प्रदीप कुमार, जो पीपलीवाला टाउन, मनीमाजरा, चंडीगढ़ का निवासी है और रामपाल वर्मा का पुत्र है, इस तस्करी नेटवर्क की पहली कड़ी था।

बागौर थाना प्रभारी भंवर लाल के अनुसार, मांडल पुलिस द्वारा एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज करने के बाद जांच की जिम्मेदारी बागौर थाना को सौंपी गई। इस जांच में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने पूरे तस्करी नेटवर्क के व्यापक स्वरूप को उजागर किया।


उदयपुर कनेक्शन का खुलासा

जांच के दौरान पता चला कि इस तस्करी नेटवर्क में उदयपुर का तस्कर भी शामिल था। डांगीखेड़ा, वल्लभनगर, उदयपुर निवासी गोपी उर्फ गोपाल डांगी (20), जो भैरूलाल डांगी का पुत्र है, पहले ही गिरफ्तार हो चुका था। लेकिन असली बड़ी गिरफ्तारी तब हुई जब पुलिस ने उसी परिवार के एक और सदस्य रमेश डांगी उर्फ धर्मा डांगी (28) को भादसोडा, चित्तौड़गढ़ से गिरफ्तार किया।

यह उदयपुर का तस्कर रमेश डांगी भी भैरूलाल डांगी का पुत्र है, जो इस बात को दर्शाता है कि यह तस्करी का धंधा पारिवारिक स्तर पर चलाया जा रहा था। डांगी परिवार के दो भाइयों का इस अवैध व्यापार में शामिल होना इस मामले की गंभीरता को बढ़ाता है।


तस्करी नेटवर्क की व्यापकता

इस मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जो विभिन्न राज्यों से आते हैं। चंडीगढ़ से प्रदीप कुमार वर्मा, बालोतरा से बाबूलाल, और उदयपुर का तस्कर परिवार के दो सदस्य - यह दिखाता है कि यह एक अंतर-राज्यीय तस्करी नेटवर्क था।

गुगड़वालों की ढाणी भूका भगतसिंह बालोतरा निवासी बाबूलाल (25), जो पोकरराम का पुत्र है, भी इस नेटवर्क का हिस्सा था। सभी आरोपितों को पूछताछ के बाद न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।


पुलिस की रणनीति और जांच

बागौर थाना पुलिस की रणनीति काफी प्रभावी रही है। पहले गिरफ्तार किए गए आरोपितों से की गई पूछताछ के आधार पर उदयपुर का तस्कर रमेश डांगी तक पहुंचना पुलिस की सूझबूझ को दर्शाता है। यह दिखाता है कि पुलिस ने पूरे नेटवर्क को समझने के लिए व्यवस्थित जांच की है।

रमेश डांगी की गिरफ्तारी चित्तौड़गढ़ के भादसोडा से की गई, जो बताता है कि वह फरार हो गया था लेकिन पुलिस की निगरानी से बच नहीं सका। यह उदयपुर का तस्कर संभवतः अपने भाई गोपाल की गिरफ्तारी के बाद छुपने की कोशिश कर रहा था।


मामले का व्यापक प्रभाव

73 किलो से अधिक डोडा-चूरा की जब्ती राजस्थान में अब तक की बड़ी जब्ती में से एक है। यह मात्रा बताती है कि यह कोई छोटा-मोटा धंधा नहीं था बल्कि एक व्यापक तस्करी का नेटवर्क था। उदयपुर का तस्कर और उसके साथी इस अवैध व्यापार को बड़े पैमाने पर चला रहे थे।

इस मामले से यह भी पता चलता है कि नशीले पदार्थों की तस्करी में अब पारिवारिक गिरोह भी शामिल हो रहे हैं। डांगी परिवार के दो भाइयों का इसमें शामिल होना चिंता का विषय है।


आगे की कार्रवाई

पुलिस का कहना है कि जांच अभी भी जारी है और इस नेटवर्क में और भी लोगों के शामिल होने की संभावना है। उदयपुर का तस्कर रमेश डांगी से पूछताछ के बाद संभावित रूप से और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज इस मामले में सभी आरोपितों पर गंभीर आरोप हैं। न्यायिक प्रक्रिया के दौरान इस पूरे नेटवर्क की सच्चाई सामने आएगी और उदयपुर का तस्कर सहित सभी आरोपितों को कानून के अनुसार सजा मिलेगी।

यह मामला राजस्थान पुलिस की सतर्कता और कुशल जांच का उदाहरण है, जिसने एक बड़े तस्करी नेटवर्क को उजागर किया है।