मिडिलईस्ट जंग का खौफ: किमने बढ़ाई उत्तर कोरिया की सुरक्षा

ईरान-इजरायल जंग से किम जोंग उन सतर्क, हथियार निर्माण तेज करने का आदेश; रूस से रिश्तों में भी नई गर्मी

Pratahkal    14-Jun-2025
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मिडिल ईस्ट जंग का खौफ: किम ने बढ़ाई उत्तर कोरिया की सुरक्षा
 
 
मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच छिड़े संघर्ष का असर अब एशिया के सुदूर उत्तर-पूर्वी कोने तक पहुंचने लगा है। इस भू-राजनीतिक तनाव के बीच उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन भी सक्रिय हो गए हैं। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए एयर स्ट्राइक के बाद किम जोंग उन ने अपनी हथियार फैक्ट्रियों का दौरा किया और बम व गोला-बारूद के निर्माण में तेजी लाने के आदेश दिए।
 
गोला-बारूद निर्माण पर ज़ोर :
 
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी KCNA के अनुसार, किम जोंग उन ने शुक्रवार, 13 जून 2025 को हथियार फैक्ट्रियों की मेटल प्रेसिंग और असेंबली यूनिट्स का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने वर्ष 2025 की पहली छमाही में हुई गोला-बारूद उत्पादन की प्रगति की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए हथियार निर्माण की रफ्तार को और तेज किया जाए।
 
किम ने यह भी कहा कि हथियार उत्पादन प्रक्रिया को ज्यादा तर्कसंगत और अत्याधुनिक बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि फैक्ट्रियों को इस तरह डिजाइन किया जाए कि इंसानी हस्तक्षेप कम से कम हो और अधिकतर काम मशीनों और स्वचालित प्रणालियों से हो। उनके मुताबिक, यह न केवल उत्पादन को तेज करेगा, बल्कि युद्ध के हालात में निरंतर आपूर्ति को भी सुनिश्चित करेगा।
 
 
 
रूस के साथ रिश्तों में मजबूती :
 
किम जोंग उन की यह सक्रियता सिर्फ घरेलू स्तर पर सीमित नहीं है। वैश्विक कूटनीति के स्तर पर भी उत्तर कोरिया की गतिविधियां तेज हो गई हैं। रूस और उत्तर कोरिया के रिश्ते पहले से कहीं अधिक गहरे होते जा रहे हैं। मई 2025 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि उत्तर कोरिया ने रूस को अब तक 20,000 से अधिक कंटेनर में हथियार और गोला-बारूद भेजा है।
 
यह सहयोग तब सामने आया जब रूस यूक्रेन युद्ध में पश्चिमी देशों के दबाव का सामना कर रहा है और उसे अतिरिक्त हथियारों की सख्त जरूरत है। किम जोंग उन की रणनीति स्पष्ट है—मौजूदा वैश्विक अस्थिरता का लाभ उठाकर उत्तर कोरिया को सैन्य और कूटनीतिक रूप से मजबूत करना।
 
भविष्य की रणनीति या डर का संकेत ?
 
विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल-ईरान टकराव ने किम जोंग उन को यह एहसास दिलाया है कि भविष्य में सैन्य ताकत ही कूटनीति में प्रभाव बनाए रखने का सबसे बड़ा माध्यम होगी। यही कारण है कि वह अपनी हथियार निर्माण इकाइयों को अधिक तकनीकी, कुशल और आक्रामक बना रहे हैं। कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि यह सतर्कता एक तरह की आशंका का भी संकेत है। उत्तर कोरिया इस बात को लेकर सजग है कि अगर ईरान पर ऐसा हमला हो सकता है, तो वैश्विक स्तर पर असहमति रखने वाले किसी भी देश को निशाना बनाया जा सकता है।
 
 
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ईरान-इजरायल टकराव से जहां मिडिल ईस्ट में उथल-पुथल मची है, वहीं उत्तर कोरिया ने इसे सैन्य विस्तार का अवसर माना है। किम जोंग उन की यह सक्रियता यह दिखाती है कि यह संघर्ष अब सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दुनिया की सैन्य और कूटनीतिक दिशा को प्रभावित करने लगा है।