डीके शिवकुमार का चौंकाने वाला बयान: "मैं रॉयल चैलेंज भी नहीं पीता, आरसीबी की क्या जरूरत"

आरसीबी की बिक्री की चर्चा में रॉयल चैलेंज ब्रांड की भूमिका भी महत्वपूर्ण

    11-Jun-2025
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बेंगलुरू में एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है जब कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) खरीदने की अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें आरसीबी की क्या जरूरत है क्योंकि वे रॉयल चैलेंज तक नहीं पीते। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और रॉयल चैलेंज ब्रांड के संदर्भ में एक दिलचस्प बहस छिड़ गई है। डीके शिवकुमार के इस कथन ने न केवल आरसीबी की बिक्री की अफवाहों को खारिज किया है, बल्कि रॉयल चैलेंज ब्रांड के साथ टीम के नामकरण के संबंध पर भी ध्यान आकर्षित किया है।


रॉयल चैलेंज ब्रांड और आरसीबी के बीच का गहरा कनेक्शन हमेशा से आईपीएल में चर्चा का विषय रहा है। टीम का नाम "रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू" यूनाइटेड ब्रूअरीज लिमिटेड के प्रसिद्ध रॉयल चैलेंज व्हिस्की ब्रांड से प्रेरित है। यह ब्रांडिंग रणनीति आईपीएल के शुरुआती दिनों से ही अपनाई गई थी, जहां रॉयल चैलेंज की पहचान को क्रिकेट टीम के साथ जोड़ा गया। डीके शिवकुमार का यह कहना कि वे रॉयल चैलेंज नहीं पीते, इस ब्रांड एसोसिएशन पर एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी माना जा रहा है।


डीके शिवकुमार के वायरल वीडियो में रॉयल चैलेंज के संदर्भ ने लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया है कि आरसीबी का नामकरण कितना गहराई से व्यावसायिक हितों से जुड़ा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "मुझे आरसीबी की क्या जरूरत है? मैं रॉयल चैलेंज भी नहीं पीता।" यह कथन दर्शाता है कि वे टीम के नाम के पीछे छुपे व्यावसायिक उद्देश्य को समझते हैं और इससे अपनी दूरी बनाना चाहते हैं। रॉयल चैलेंज ब्रांड की यह पहचान आईपीएल में स्पॉन्सरशिप और नामकरण की राजनीति का एक स्पष्ट उदाहरण है।


आरसीबी की बिक्री की चर्चा में रॉयल चैलेंज ब्रांड की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट्स के अनुसार, डीगो इंडिया कंपनी आरसीबी को लगभग 2 बिलियन डॉलर की वैल्युएशन पर बेचने की योजना बना रही थी। इस संदर्भ में रॉयल चैलेंज ब्रांड वैल्यू एक महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि टीम का नाम इस प्रसिद्ध अल्कोहल ब्रांड से जुड़ा है। डीके शिवकुमार का रॉयल चैलेंज न पीने का बयान इस ब्रांड एसोसिएशन से उनकी असहमति को दर्शाता है।


डीके शिवकुमार ने अपने बयान में रॉयल चैलेंज का जिक्र करके एक दिलचस्प पहलू उजागर किया है। उन्होंने कहा, "मैं पागल आदमी नहीं हूं। मैं काफी समय से कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन का सदस्य हूं। मेरे पास समय भी नहीं है, हालांकि मुझे मैनेजमेंट का हिस्सा बनने के प्रस्ताव मिले थे।" लेकिन जब उन्होंने रॉयल चैलेंज का जिक्र किया तो यह स्पष्ट हो गया कि वे टीम के नाम के पीछे के व्यावसायिक मकसद को अच्छी तरह समझते हैं और इससे जुड़ना नहीं चाहते।


रॉयल चैलेंज ब्रांड की मार्केटिंग रणनीति में आरसीबी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईपीएल के माध्यम से रॉयल चैलेंज को व्यापक पहुंच और पहचान मिलती है। विराट कोहली जैसे सुपरस्टार खिलाड़ियों के साथ जुड़ाव ने रॉयल चैलेंज ब्रांड को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया है। हालांकि, डीके शिवकुमार का यह कहना कि वे रॉयल चैलेंज नहीं पीते, इस मार्केटिंग रणनीति पर एक अप्रत्यक्ष प्रश्नचिह्न लगाता है।


सोशल मीडिया पर डीके शिवकुमार के रॉयल चैलेंज वाले बयान की व्यापक चर्चा हो रही है। कई लोग इसे एक ईमानदार और सीधा जवाब मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे रॉयल चैलेंज ब्रांड के खिलाफ एक बयान के रूप में देख रहे हैं। यह घटना दिखाती है कि आईपीएल टीमों के नाम केवल क्रिकेट से जुड़े नहीं हैं, बल्कि गहरे व्यावसायिक हितों से भी जुड़े हैं। रॉयल चैलेंज जैसे ब्रांड्स के लिए आईपीएल एक प्रभावी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है।


डीगो इंडिया कंपनी ने आरसीबी की बिक्री की खबरों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि यह केवल अटकलें हैं। कंपनी की सीएस मितल संघवी ने कहा कि ऐसी किसी भी चर्चा को लेकर कंपनी की कोई मंशा नहीं है। इस खंडन के बावजूद, रॉयल चैलेंज ब्रांड और आरसीबी के बीच के संबंध पर चर्चा जारी है। डीके शिवकुमार के बयान ने इस बहस को और भी दिलचस्प बना दिया है।


रॉयल चैलेंज के संदर्भ में डीके शिवकुमार का यह बयान आईपीएल की व्यावसायिक प्रकृति पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक व्यक्तित्व इन ब्रांड एसोसिएशन को लेकर कितने सचेत हैं। रॉयल चैलेंज जैसे अल्कोहल ब्रांड्स के साथ जुड़ाव राजनीतिक छवि पर प्रभाव डाल सकता है, जिसे डीके शिवकुमार अच्छी तरह समझते हैं। उनका यह बयान भविष्य में आईपीएल टीमों के नामकरण और ब्रांड एसोसिएशन पर भी प्रभाव डाल सकता है।