भारतीय सेना को मिलेगा 30,000 करोड़ का स्वदेशी QR-SAM एयर डिफेंस सिस्टम

रक्षा मंत्रालय जून के अंत तक दे सकता है मंजूरी

Pratahkal    10-Jun-2025
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QR-SAM सिस्टम

नई दिल्ली।
भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्रालय जल्द ही 30,000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी क्यूआर-एसएएम (QR-SAM: Quick Reaction Surface to Air Missile) सिस्टम खरीदने का फैसला कर सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद से इस महीने के अंत तक इस प्रस्ताव को 'आवश्यकता की स्वीकृति' (Acceptance of Necessity - AoN) मिलने की उम्मीद है।

 


तेजी से काम करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम

QR-SAM सिस्टम एक अत्याधुनिक स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली है जो बेहद तेजी से काम करती है। यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को 25-30 किलोमीटर की दूरी तक अचूक तरीके से निशाना बनाने की क्षमता रखती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह चलते-फिरते भी काम कर सकता है और दुश्मन को खोजकर ट्रैक करने के बाद तुरंत हमला कर सकता है।

ऑपरेशन सिंदूर में साबित हुई क्षमता

हाल ही में 7 से 10 मई तक चले 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत के मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम ने अपनी कामयाबी का प्रमाण दिया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की ओर से भेजे गए तुर्की मूल के ड्रोन और चीनी मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराया गया था। इस सफलता के बाद ही सरकार ने QR-SAM सिस्टम की खरीदारी को तेज करने का फैसला किया है।

 


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व्यापक परीक्षण से गुजरा सिस्टम

डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और भारतीय सेना ने पिछले तीन-चार सालों में QR-SAM सिस्टम का व्यापक परीक्षण किया है। यह परीक्षण दिन और रात दोनों समय अलग-अलग तरह के खतरों के लिए किया गया है। सभी परीक्षणों में इस सिस्टम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाया है और हर तरह की कसौटी पर खरा उतरा है।

स्वदेशी निर्माण की योजना

QR-SAM सिस्टम का निर्माण पूर्णतः स्वदेशी तकनीक से किया जाएगा। भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी सरकारी रक्षा कंपनियां मिलकर इस एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम का उत्पादन करेंगी। यह 'मेक इन इंडिया' पहल को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


युद्धक्षेत्र में मोबाइल सुरक्षा

रक्षा अधिकारियों के अनुसार, QR-SAM सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत इसकी मोबिलिटी है। यह टैंकों और पैदल सेना के वाहनों के साथ चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे युद्ध के मैदान में सैन्य बलों को हवाई हमलों से प्रभावी सुरक्षा मिल सकेगी। सेना की वायु रक्षा शाखा (Army Air Defence) ने इस सिस्टम की 11 रेजिमेंट की मांग की है।

 

मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा

QR-SAM के शामिल होने से भारत की मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम और भी मजबूत हो जाएगी। वर्तमान में इस प्रणाली में लंबी दूरी की रूसी एस-400 ट्रिम्फ मिसाइलें (380 किमी रेंज), इजराइल के साथ संयुक्त रूप से विकसित बराक-8 मध्यम दूरी की मिसाइलें (70 किमी), रूसी इगला-एस मिसाइलें (6 किमी), और एल-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन (3.5 किमी) शामिल हैं।

 

भविष्य की योजनाएं

डीआरडीओ वर्तमान में बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (VSHORADS) भी विकसित कर रहा है जिसकी मारक क्षमता 6 किलोमीटर होगी। लेकिन सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'कुशा' के तहत 350 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे 2028-2029 तक तैनात करने की योजना है।

 

आकाश सिस्टम का भी विस्तार

QR-SAM के साथ ही स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम का भी विस्तार किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2023 में भारतीय वायु सेना के लिए आकाश सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन खरीदने हेतु 21,700 करोड़ रुपये की एओएन को मंजूरी दी थी।

यह विकास भारत की रक्षा स्वावलंबता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और देश की वायु रक्षा क्षमताओं को विश्व स्तरीय बनाने में योगदान देगा।