मेरठ से बर्खास्त हुई लेडी सब इंस्पेक्टर, रंगे हाथों घुस लेते पकड़ी गई।
उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां सब इंस्पेक्टर अमृता यादव को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। अमृता यादव पर आरोप था कि उन्होंने एक मामले में गंभीर धाराएं हटाने के बदले 20,000 रुपये की रिश्वत ली थी। इस मामले में एंटी करप्शन टीम ने कार्रवाई करते हुए अमृता यादव को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।

कोर्ट ने अमृता यादव को दोषी पाया और उन्हें 5 सितंबर, 2024 को सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसके बाद मेरठ रेंज की डीआईजी कलानिधि नैथानी ने अमृता यादव को बर्खास्त करने का आदेश दिया।
डीआईजी ने बताया कि अमृता यादव को 4 मई को टर्मिनेशन लेटर जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता है और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध में लिप्त किसी भी पुलिसकर्मी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला दिखाता है कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार और प्रशासन कितने गंभीर हैं। अमृता यादव का मामला एक उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार के आरोप में एक पुलिसकर्मी को बर्खास्त किया जा सकता है और उन्हें सजा भी हो सकती है।
इस मामले में एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई की प्रशंसा की जा रही है, जिन्होंने अमृता यादव को रंगे हाथों पकड़ लिया। यह दिखाता है कि एंटी करप्शन टीम अपने काम को गंभीरता से ले रही है और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
अमृता यादव के बर्खास्त होने से यह संदेश गया है कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला पुलिस विभाग के लिए एक सबक है कि उन्हें अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
कुल मिलाकर, अमृता यादव का मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार के आरोप में एक पुलिसकर्मी को बर्खास्त किया जा सकता है और उन्हें सजा भी हो सकती है। यह मामला पुलिस विभाग के लिए एक सबक है कि उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।
अमृता यादव पर यह आरोप लगाया गया था कि वह एक मामले में हस्तक्षेप कर रही थी और उसके बदले पैसे की मांग कर रही थी। जब उन्होंने 20,000 रुपये की रिश्वत ली, तो एंटी करप्शन टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद अमृता यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और विस्तृत जांच के बाद मामला कोर्ट में भेजा गया।