अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति के केंद्र में हैं। बीते 7 मई से भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन हाल ही में दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि इससे पहले ही ट्रंप का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने इस सीजफायर की जानकारी साझा की थी। इससे साफ हो गया कि इस शांति प्रक्रिया में ट्रंप की भूमिका अहम रही।
डोनाल्ड ट्रंप अब तक कुल पांच प्रमुख संघर्षों को शांतिपूर्वक सुलझाने में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में उन्होंने अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच विवाद को सुलझाने की कोशिश की। इसके बाद हमास और इजराइल के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष को थामने में भी ट्रंप ने कूटनीतिक हस्तक्षेप किया। ईरान और इजराइल के तनावपूर्ण संबंधों को संतुलित करने की कोशिश और यमन में हुती विद्रोहियों पर हवाई हमले रोकने का आदेश देकर ट्रंप ने खुद को एक गंभीर वैश्विक मध्यस्थ के रूप में स्थापित किया है।
क्या शांति स्थापित करने की कोशिशों के चलते ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिल सकता है?
नोबेल पुरस्कार की शुरुआत स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत से हुई थी, जिन्होंने दिसंबर 1896 में अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा मानवता की भलाई के लिए एक ट्रस्ट को सौंप दिया था। इसी ट्रस्ट की आमदनी से हर साल नोबेल पुरस्कार दिए जाते हैं।
ट्रंप के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और शांति स्थापित करने की कोशिशों को देखते हुए यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि वे नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अंतिम फैसला नोबेल कमिटी के विवेक और वैश्विक परिस्थिति की गंभीरता पर निर्भर करेगा।