मुंबई। हाल के महीनों में जहां सोने की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है, वहीं चांदी की कीमतें तुलनात्मक रूप से स्थिर बनी हुई हैं। कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से अब तक सोना 25.1% बढ़ चुका है, जबकि चांदी में केवल 13.5% की बढ़ोतरी हुई है। शुक्रवार को चांदी की कीमत एमसीएक्स हाजिर बाजार में रु.97,442 प्रति किलोग्राम रही।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में चांदी में सोने की तुलना में बेहतर रिटर्न की संभावना है। इसकी एक बड़ी वजह “गोल्ड-टू-सिल्वर रेशियो” है, जो हाल ही में 100 के पार पहुंचा है। यह दर्शाता है कि एक औंस सोने की तुलना में अधिक मात्रा में चांदी खरीदी जा सकती है, जिससे चांदी ‘अंडरवैल्यूड’ यानी कम कीमत वाली धातु मानी जा रही है।
2024 में कुल चांदी की मांग का 39% हिस्सा निवेशकों, ज्वैलर्स और सिल्वरवेयर से आया है, जबकि 2016 में यह आंकड़ा लगभग 50% था। चांदी की औद्योगिक मांग 60% से अधिक है, जिससे यह आर्थिक गतिविधियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है। भारत में सिल्वर ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) की मांग तेज़ी से बढ़ी है। 2024 में इनकी होल्डिंग्स 783 टन से बढ़कर 1,200 टन तक पहुंच गई है। साथ ही, ईटीएफ पेश करने वाले फंड हाउस की संख्या 2022 के अंत में 4 से बढ़कर अब 12 हो गई है।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निवेशक चांदी की ओर रुख कर सकते हैं। कमजोर डॉलर और औद्योगिक मांग चांदी के पक्ष में काम कर सकती है। निवेश सलाहकार अजय केडिया ने चांदी में बेहतर रिटर्न की संभावना जताई है।