कांग्रेस सांसद इमरान मसूद इन दिनों अपने विवादित बयान ‘एक घंटे में इलाज कर देंगे’ को लेकर सियासी निशाने पर हैं। लेकिन अब उन्होंने एक्सक्लूसिव बातचीत में इस बयान पर सफाई दी है। मसूद ने कहा कि यह महज एक जुमला था, और उनका मकसद किसी तरह की हिंसा या धमकी देना नहीं था।
मसूद ने कहा, “मैं हिंसा का समर्थक नहीं हूं।" उन्होंने बताया कि वक्फ कानून को लेकर उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल है, जिसकी सुनवाई 15 अप्रैल को होनी है। उन्होंने भरोसा जताया की न्यायपालिका से उन्हें न्याय मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि, “हम लोग संविधान को मानने वाले लोग हैं और कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान करेंगे।”
AIMIM के बयान से असहमति :
इमरान मसूद ने AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के ‘15 मिनट’ वाले बयान से खुद को पूरी तरह असहमत बताया। उन्होंने कहा, “मेरे बयान में कोई चेतावनी नहीं है, न ही कोई धमकी। यह लोकतंत्र के भीतर एक राजनीतिक जुमला था, जिसे बेवजह तूल दिया जा रहा है।”
“यह मुसलमान की नहीं, संविधान की लड़ाई है” :
बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के मौके पर मसूद ने संविधान की रक्षा का संकल्प दोहराया और कहा कि, “यह लड़ाई किसी धर्म की नहीं, बल्कि संविधान को बचाने की है। जो लोग बाबा साहेब के सपनों को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें हम लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देंगे।”
क्या था मसूद का बयान ?
बता दें कि हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान, मसूद ने कहा था – “दुआ करिए कि हम लोग आ जाएं... समंदर में तूफान बहुत है और जब तूफान हो तो उसका सामना बड़ा जहाज करता है... और ये वादा आपसे करना चाहता हूं कि जिस दिन आ जाएंगे उस दिन घंटे भर के अंदर इसका इलाज भी करना जानते हैं।” इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने कांग्रेस और मसूद पर तीखा हमला बोला था। अब देखना होगा कि मसूद की यह सफाई राजनीतिक गर्मी को कितना ठंडा कर पाती है।