मानवाधिकार आयोग के 10 लाख देने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

Pratahkal    11-Apr-2025
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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फणसालकर और एक डीसीपी को एक जूलर को 10 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा गया था। जूलर ने चार पुलिसकर्मियों पर जबरन वसूली का आरोप लगाया था।
 
पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने यह आदेश पारित किया था, जिसमें पुलिस कमिश्नर फणसालकर और झोन १ के उपायुक्त प्रवीण मुंढे को यह मुआवजा देने को कहा गया था। शिकायतकर्ता जूलर निशांत जैन का आरोप था कि आजाद मैदान पुलिस स्टेशन के चार पुलिसकर्मियों ने उससे जबरन पैसे वसूले।
इस आदेश के खिलाफ फणसालकर और मुंढे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने आयोग के आदेश और 18 दिसंबर 2024 को आयोग के सचिव द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए अनुपालन पत्र पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी।
 
निशांत जैन, जो बोरा बाजार में गुर्जर जूलर्स के मालिक हैं, ने आरोप लगाया था कि 1 मार्च 2024 को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन की सब-इंस्पेक्टर काजल पानसरे और पुलिसकर्मी सुदर्शन पुरी, श्रीकृष्ण जयभाई और राजेश पालकर ने उन्हें चोरी के आभूषण खरीदने के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी और 50,000 रुपये की मांग की।
 
जैन का दावा है कि उन्होंने 25,000 रुपये नकद देने के बाद खुद को छुड़वाया। इसके बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर, डीसीपी मुंढे और मानवाधिकार आयोग को शिकायत भेजी। आयोग ने एफआईआर दर्ज करने और मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
हालांकि पुलिस की जांच में कहा गया कि यह जबरन वसूली का मामला नहीं बनता। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में फणसालकर और मुंढे ने कहा कि आयोग ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना आदेश जारी कर दिया, जबकि शिकायत में कोई मानवाधिकार उल्लंघन नजर नहीं आता।