मुंबई। मोबाइल उपयोगकर्ताओं को ट्रैफिक उल्लंघनों और दुर्घटनाओं का झूठा आरोप लगाते हुए फर्जी कॉल्स का नया घोटाला सामने आया है। इन कॉल्स में कथित एफआईआर दर्ज होने का दावा किया जाता है और अधिक जानकारी के लिए एक नंबर दबाने को कहा जाता है।
मुंबई में एक साइबर सेल आईपीएस अधिकारी, एक पत्रकार और एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ समेत कई लोगों ने ऐसी कॉल्स प्राप्त कीं। बेंगलुरु में भी कई निवासियों ने अपनी गाड़ियों के फर्जी मामलों की जानकारी के लिए ट्रैफिक पुलिस से संपर्क किया।
जांच में पता चला कि अपराधी वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) ऐप्स का इस्तेमाल कर ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों का रूप धारण करते हैं। ये ठग ट्रैफिक उल्लंघन या हिट-एंड-रन मामलों के नाम पर पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। बाद में ये घोटाले मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग मामलों के झूठे आरोपों तक बढ़ जाते हैं।
राज्य साइबर डीआईजी संजय शिंत्रे ने कहा कि लोग कानून के डर का फायदा उठाकर ठगी का शिकार करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी कानून प्रवर्तन एजेंसी वीडियो कॉल पर “डिजिटल गिरफ्तारी” नहीं करती।
मुंबई ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त अनिल कुम्भारे ने कहा, “हम ट्रैफिक उल्लंघन की शिकायतों पर कॉल नहीं करते। ऐसी कॉल्स फर्जी होती हैं। इन्हें तुरंत काट दें और संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।”
घोटाले का तरीका:
1. पीड़ित को एक स्वचालित कॉल आती है, जिसमें सड़क दुर्घटना का आरोप लगाया जाता है।
2. अधिक जानकारी के लिए पीड़ित को एक नंबर दबाने को कहा जाता है।
3. नंबर दबाने पर ठग पुलिस अधिकारी या वकील बनकर पीड़ित से बात करते हैं।
4. झूठे केस नंबर और कानूनी शब्दावली का इस्तेमाल कर ठग पीड़ित को डरा-धमकाकर बैंकिंग और व्यक्तिगत जानकारी हासिल करते हैं।
5. इसके बाद पीड़ित के खातों से पैसा निकाल लिया जाता है।
राज्य में साइबर घोटालों के आंकड़े (2021-2024):
• कुल ठगी की राशि: ₹2,380 करोड़
• बचाई गई राशि: ₹223 करोड़
• शिकायतें दर्ज: 2,35,443
• एफआईआर में बदली गईं: 18,792
• गिरफ्तार ठग: 3,464
• सुलझे मामले: 1,694
साइबर हेल्पलाइन: संदिग्ध कॉल्स या साइबर अपराध की शिकायत के लिए 1930 पर संपर्क करें।