भ्रामक ऐड के लिए सिलेब्रिटी भी जिम्मेदार

Pratahkal    08-May-2024
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नई दिल्ली (एजेंसी)। भ्रामक विज्ञापनों को प्रचारित करने वाले सिलेब्रिटीज और प्रभावशाली लोग भी इसके लिए उतरने ही जिम्मेदार हैं, जितना उसे तैयार करने वाली कंपनियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद की ओर से अपनी दवाओं को लेकर जारी भ्रामक विज्ञापनों के मामले की सुनवाई करते हुए यह अहम टिप्पणी की।
 
अदालत ने कहा कि यदि किसी उत्पाद को लेकर किए गए दावे गलत पाए जाते हैं तो उनका प्रचार करने वाली सिलेब्रिटीज और सोशल मीडिया एन्फ्लुएंसर्स भी जिम्मेदार हैं। पतंजलि आयुर्वेद के मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने आईएमए की भी खिंचाई की।
 
अदालत ने कहा कि विज्ञापनों को प्रसारित करने से पहले चैनलों को भी एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरना चाहिए। इसमें यह घोषणा करनी चाहिए कि हम सभी नियमों का पालन करते हैं। मंगलवार को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने गाइडलाइंस फॉर प्रिवेंशन ऑफ मिसलीडिंग ऐड का जिक्र किया। अदालत ने कहा कि इस नियम की गाइडलाइन 13 में कहा गया है कि किसी विज्ञापन का प्रचार करने वाली हस्ती को संबंधित सेवा एवं उत्पाद के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसे यह पता होना चाहिए कि वह जिस चीज का प्रचार कर रहा है, वह किसी भी तरह से नुकसानदेह नहीं है।
 
बेंच ने कहा, नियम कहते हैं कि उपभोक्ता को पता होना चाहिए कि वह जिन चीजों को बाजार से खरीद रहा है, उसकी क्या खासियतें हैं। खासतौर पर हेल्थ और फूड प्रोडक्ट्स के मामले में यह जरूरी है। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि यदि कोई विज्ञापन भ्रामक निकलता है तो उसे जारी करने वाली कंपनियों के साथ ही प्रचार करने वाली हस्तियां भी उतनी ही जिम्मेदार हैं। यही नहीं बेंच ने कहा कि मंत्रालयों को इस संबंध में कुछ नियम बनाने चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि विज्ञापन गलत पाए जाने पर ग्राहक शिकायत कर सके और उसका कोई नतीजा निकल सके।
 
कोर्ट ने कहा कि ऐसा नियम बनने से पहले चैनलों एवं अन्य प्रसारकों को लेकर एक नियम बनना चाहिए। प्रसारकों को सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भरना चाहिए कि वह जो विज्ञापन चला रहे हैं, उसकी उन्होंने जांच कर ली है और भ्रामक नहीं है। यही नहीं बेंच ने कहा कि हम किसी तरह की लालफीताशाही नहीं चाहते। लेकिन हमारी यह भी मंशा नहीं है कि कुछ भी ऐड चलने दिया जाए। पर यह तय करना भी जरूरी है कि किसी की तो जिम्मेदारी तय हो।