गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर: भारतीय साहित्य के गौरव

Pratahkal    07-May-2024
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Rabindranath Tagore
 
Rabindranath Tagore : रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय साहित्य के एक ऐसे शिखर हैं, जिनकी प्रतिभा सिर्फ साहित्य तक ही सीमित नहीं रही। कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक और चित्रकार - उन्होंने अपने बहुमुखी प्रतिभा से न केवल भारत बल्कि विश्व को भी प्रभावित किया।
 
7 मई, 1861 को कोलकाता में जन्मे रवींद्रनाथ टैगोर ठाकुर परिवार के एक प्रतिष्ठित सदस्य थे। उनकी रचनाओं में प्रेम, प्रकृति, देशभक्ति और मानवता जैसे विषयों की गहरी झलक मिलती है।
 
उन्हें 1913 में साहित्य के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे। उनकी कृति "गीतांजलि" के अंग्रेजी अनुवाद ने उन्हें दुनिया भर में ख्याति दिलाई।
 
रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं में उनकी मातृभाषा बंगाली की मिठास साफ झलकती है। उन्होंने "रबीन्द्र संगीत" नामक एक अनूठी संगीत शैली भी विकसित की, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत का खूबसूरत मिश्रण है। उनकी कई रचनाएँ आज भी भारत और बांग्लादेश में राष्ट्रीय गीतों और भजनों के रूप में गाए जाते हैं।
 
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की, जो बाद में विश्व-भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। यह विद्यालय भारतीय और पश्चिमी शिक्षा पद्धतियों के सर्वोत्तम तत्वों को मिलाकर बनाया गया था।
 
रवींद्रनाथ टैगोर का 7 अगस्त, 1941 को कोलकाता में निधन हो गया। लेकिन उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।