बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी सरपंच और पंच की भी

हाई कोर्ट ने कहा विफल हुए तो तय होगी जिम्मेदारी

Pratahkal    03-May-2024
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कार्यालय संवाददाता जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) हाई कोर्ट ने बाल विवाह (child marriage) रोकने से जुड़ी जनहित याचिका पर आदेश देते हुए बाल विवाह रोकने के लिए सरपंच (Sarpanch) और पंच (Panch) की भी जिम्मेदारी तय की हैं। जस्टिस पंकज भंडारी और शुभा मेहता की खंडपीठ ने कहा है कि राजस्थान पंचायतीराज रूल्स और बाल विवाह निषेध कानून के तहत बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी पंच और सरपंच की भी तय की गई हैं। ऐसे में अगर बाल विवाह होते है तो इसके लिए सरपंच और पंच भी जिम्मेदार होंगे। हाई कोर्ट ने यह आदेश बचपन बचाओं आंदेलन व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 24 साल की महिला ओं में से 25.4 प्रतिशत की शादी 18 साल से पहले हो जाती हैं। शहरी क्षेत्र में यह आकड़ा 15.1 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 28.3 फीसदी हैं। अदालत ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव और सभी जिला कलक्टरों को भेजने के आदेश दिए हैं। ताकि बाल विवाह रोकने के लिए इसे पंच-सरपंच और अन्य अधिकारियों को भेजा जा सके।

15 से 19 साल की लड़कियों में 3.7 फीसदी गर्भवती
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में 15 से 19 साल की लड़कियों में से 3.7 फीसदी महिलाएं या तो मां है या गर्भवती हैं। अदालत ने कहा कि प्रदेश में बाल विवाह निषेध कानून है। लेकिन फिर भी बाल विवाह नहीं रूक रहे हैं।
 
जनहित याचिका में कहा गया था कि अदालत को अधिकारियों से चाल विवाह रोकने की अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा लेना चाहिए। वहीं राज्य सरकार को पावंध करना चाहिए कि कहीं भी बाल विवाह नहीं होने दे। जवाव में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह वाल विवाह रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। इसके लिए 1098 टोल फ्री नम्बर भी जारी किया हुआ हैं। जिस पर कोई भी व्यक्ति बाल शोषण (child abuse) और बाल विवाह से संबंधित शिकायत कर सकता हैं। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को बाल विवाह रोकने के निर्देश दिए। वहीं 2 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई तय की हैं।