चूनाभट्टी हत्याकांड : डेवलपर विमल जैन की जमानत याचिका हुई खारिज

Pratahkal    18-May-2024
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chunabhatti murder case
 
मुंबई। विशेष मकोका अदालत ने पिछले सप्ताह डेवलपर विमल जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। डेवलपर विमल जैन को चूनाभट्टी में पुनर्विकास प्रोजेक्ट में गैंगस्टर सुमीत येरूणकर की हत्या की साजिश रचने और इसके लिये आर्थिक मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गौरतलब है कि 24 दिसंबर 2023 को आजाद गली, चूनाभट्टी में गैंगस्टर येरूणकर की हत्या कर दी गई थी। येरूणकर के पुराने साथी सुनील पाटील ऊर्फ सनी, सागर सावंत, नरेंद्र ऊर्फ नान्या पाटील और आशुतोष ऊर्फ बाबू देवीदास गावंड पर इस हत्याकांड का आरोप है। सभी आरोपी साल 2016 तक येरूणकर की गैंग में उसके मातहत ही काम करते थे। साल 2016 में येरूणकर को जेल की सजा हुई जिसके बाद ये उससे अलग हो गये थे। वारदात के समय आरोपियों ने येरूणकर पर 21 राउंड गोलियां चलाईं जिसमें येरूणकर गैंग के तीन गुर्गों सहित पास ही में खेल रही आठ साल की बच्ची भी बुरी तरह जख्मी हो गई थी। इस हमले में येरूणकर की मौत हो गई थी।
 
जांच के दौरान पुलिस को इस हत्या के पीछे डेवलपर विमल जैन की भूमिका की जानकारी मिली थी। विमल जैन हिया डेवलपर्स का मालिक है और चूनाभट्टी में पाटील गली एरिया में पुनर्विकास प्रोजेक्ट का काम कर रहा था। आरोपी सुनील पाटील यहीं रहता था और उसे जैन ने प्रोजेक्ट का मुख्य प्रमोटर बनाया था। विमल जैन, जिनेश जैन का रिश्तेदार है। जिनेश जैन अरिहंत बिल्डर्स का मालिक है जिसने साल 2016 में येरूणकर की गैंग को भवन निर्माण सामग्री का ठेका देने से इंकार कर दिया था। येरूणकर और उसके सात सहयोगियों को जिनेश जैन के दफ्तर पर फायरिंग के मामले में उसी साल मकोका के तहत गिरफ्तार किया गया था। यही वजह रही कि जब जिनेश जैन के रिश्तेदार विमल जैन ने येरूणकर के इलाके में प्रोजेक्ट शुरू किया तो उसने येरूणकर से अलग हो चुके उसके पूर्व साथी सुनील पाटील को ही प्रोजेक्ट का प्रमोटर बना दिया। जेल से छूटकर आये येरूणकर को यह बात पसंद नहीं थी जिसके चलते उसकी जैन और पाटील से रंजिश और बढ़ गई थी। विमल जैन पर आरोप है कि उसने हत्या की वारदात को अंजाम देने के लिये आरोपियों को इस्तेमाल के लिये कार मुहैया कराई और साथ ही आरोपियों को पैसे भी दिये थे। विमल जैन के बैंक रिकॉर्ड्स इसकी तसदीक करते हैं।
 
अदालत में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पाया कि प्राथमिक दृष्टया इस साजिश में जैन की सहभागिता के पर्याप्त साक्ष्य नजर आते हैं और इसी आधार पर जैन की जमानत याचिका को अदालत ने नामंजूर कर दिया है।