नागरिक सम्मान का संकल्प पत्र

कांग्रेस ने गत दिनों न्याय पत्र के नाम से अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया। इसमें लोकलुभावन घोषणाओं की भरमार है। इससे वह उम्मीद कर रही है कि मतदाताओं का एक वर्ग उसके पाले में आजाएगा। इसे देखते हुए यह आशंका थी कि भाजपा के घोषणा पत्र में भी लोकलुभावन वादे किए जाएंगे, लेकिन उसने इससे परहेज किया है। इसके मुकाबले पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में नागरिकों के प्रति सम्मान दिखाया है

Pratahkal    18-Apr-2024
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BJP Sankalp Patra
BJP Sankalp Patra 2024 प्रो. हर्ष वर्धन त्रिपाठी - भजपा (BJP) ने अबेिडकर जयंती (Ambedkar Jayanti) का दिन लोकसभा चुनाव (Loksabha elections) के लिए अप संकल्प पत्र (Sankalp Patra) को जारी करने के लिए चुना । न्याय पत्र के नाम से जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र महिलाओं को हर महीने साढ़े आठ हजार रूपये देने की राहुल गांधी की घोषणा के बाद यह आशंका थी कि भाजपा के घोषणा पत्र में भी लोकलुभावन वादे किए जाएंगे। कांग्रेस के घोषणा पत्र में सब लोकलुभावन वादे ही हैं। यही वजह है कि पार्टी की तरफ से यह आंकड़ा नहीं दिया गया है कि एक लाख रूपये कितने नौजवानों को दिए जाएंगे। न ही यह बताया गया है कि कितनी महिलाओं के खाते में साल में एक लाख रूपये डाले जाएंगे। कुल मिलाकर न्याय पत्र का नाम देकर कांग्रेस ने पूरी तरह एक हवा हवाई घोषणा पत्र जारी किया है और इस उम्मीद में है कि इसी आधार पर मतदाताओं का एक वर्ग उसके पाले में आ जाएगा। हालांकि इससे कांग्रेस को बहुत लाभ होता नहीं दिख रहा, क्योंकि पहले भी साल के 72 हजार रूपये यानी प्रति माह छह हजार देने के राहुल गांधी के वादे को मतदाताओं ने गंभीरता से नहीं लिया था। उस पर राहुल गांधी जिस तरह से खाते में रकम डालकर गरीबी समाप्त करने की बात कह रहे हैं, उससे गरीबों का उपहास होता अधिक दिख रहा है। भाजपा के लिए भी यह चुनौती थी कि ऐसे लोकलुभावन वादों के मुकाबले वह अपने घोषणा पत्र में क्या बताए ? इसके उत्तर में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में नागरिकों के प्रति सम्मान दिखाया है।
 
पिछले दस वर्षों में लगभग 25 करोड़ भारतीय गरीबी से ऊपर उठे हैं। 14 करोड़ से अधिक परिवारों को जल जीवन मिशन के अंतर्गत नल से जल मिला है। 4 करोड़ से अधिक परिवारों को प्रधानमंत्री आवास एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से पक्का घर मिला है। डाबाटा के जारय साथ खाते में 34 लाख करोड़ रूपये भेजे गए हैं। 50 करोड़ से अधिक लोगों का जनधन खाता खोला गया है, जिससे ये बैंकिंग प्रणाली की मुख्यधारा में शामिल हो सके हैं। 34 करोड़ से अधिक नागरिकों को पांच लाख रूपये तक के मुफ्त इलाज की गारंटी मिली है। अब तीसरी बार मोदी की सरकार आने पर आयुष्मान भारत के दायरे में 70 वर्ष की उम्र के ऊपर के सभी लोगों को लाने की बात कही गई है। वैसे ये सभी योजनाएं अलग-अलग तरह की दिखती हैं, लेकिन इनमें एक सूत्र खोजना हो तो वह भारतीय नागरिकों के सम्मान का ही दिखता है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से महिलाओं को आरक्षण का कानून बनाया तो उसमें भी महिलाओं को आरक्षण देने से अधिक वर्षों से उनका अधिकार न देने के अपराध बोध को स्वीकार कर नारी शक्ति का सम्मान करने की बात कही गई 3 करोड़ से अधिक महिलाओं को मातृत्व सेवाओं का लाभ मिला है। 6 करोड़ माताओं और उनके बच्चों का मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण हुआ है। मोदी सरकार ने पेड मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया । मुस्लिम महिलाओं का जीवन नर्क बना देने वाले तीन तलाक को भी मोदी सरकार ने समाप्त कर दिया। दस करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत दस वर्षो में बनाए गए शौचालय से ग्यारह करोड़ महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन प्राप्त हो सका है। नागरिक सम्मान के भाव से ही अस्सी करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है यह राशन गरीबी के कारण उनको नहीं दिया जा रहा, बल्कि इस राशन की वजह से उनके पास अतिरिक्त आय का साधन बन रहा है। इस प्रकार सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद करके उनकी आय सुनिश्चित कर रही है और कम आय वर्ग के लोगों को मुफ्त अनाज देकर उनकी आय बढ़ा रही है। किसानों से की जाने वाली अनाज खरीद पर एमएसपी लगातार बढ़ा रही है और ग्यारह करोड़ से अधिक किसानों के खाते में लगातार छह हजार रूपये प्रतिवर्ष की सम्मान निधि भी दे रही है। आयातित मूल्य अधिक होने के बावजूद किफायती खाद देकर सरकार किसानों की लागत घटा रही है। मुफ्त राशन देने की मोदी सरकार की योजना को आलोचक इस बात के लिए उपयोग कर रहे हैं कि इससे भारत में गरीबों की संख्या सामने आ रही है, लेकिन जिसे राशन मिल रहा है, उसमें से बड़ा वर्ग जानता है कि उसकी स्थिति गरीबी रेखा से नीचे वाली नहीं है।
 
गत दस वर्षों में प्र.म. मुद्रा योजना के अंतर्गत 46 करोड़ से अधिक लोगों को निवेश के लिए 27 लाख करोड़ रूपये का ऋण प्रदान किया गया है। बेरोजगारी के ढेरों आंकड़ों के बीच सड़कों पर नौजवानों का गुस्सा मोदी सरकार के विरूद्ध नहीं दिखता तो शायद उसकी सबसे बड़ी वजह यही है। भारत विश्व के तीसरे सबसे बड़े | स्टार्टअप इकोसिस्टम वाले देश के तौर पर प्रतिष्ठित बीते दस ही हुआ है। वर्षो 63 लाख रेहड़ी पटरी विक्रेताओं को प्र.म. स्वनिधि योजना के तहत आसानी से ऋण उपलब्ध कराना भी उसी नागरिक सम्मान को बढ़ाने की ओर मोदी सरकार का एक कदम है। महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति के लगभग ढाई लाख से अधिक लोगों को स्टैंडअप इंडिया के तहत पचास हजार करोड़ रूपये से अधिक का कर्ज उपलब्ध कराने के मूल में भी यही नागरिक सम्मान हैं। 13 हजार करोड़ रूपये से अधिक की प्र.म. विश्वकर्मा योजना भी मेहनतकश पारंपरिक श्रमिकों को सम्मान के साथ अपना काम करने को बढ़ावा देने की स्कीम । गांवों की बेहतर सड़क से लेकर अच्छे राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और बंदरगाहों का तेजी से निर्माण भी नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर करके उनके सम्मान की चिंता करना ही है। इसी नागरिक सम्मान को और मजबूती से अगले पांच वर्षों में लागू करने का संकल्प भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में मोदी की गारंटी के तौर पर प्रस्तुत किया है।
 
अब देखना है कि जनता बीते दस वर्षों में नागरिक सम्मान की मजबूत नींव पर तैयार हो रही इमारत के संकल्प के साथ जाएगी या फिर हवा हवाई वादों के चक्कर में फंसेगी।