मोदी की गारंटी वाला घोषणा पत्र

भाजपा के संकल्प पत्र में प्र.म. मोदी पार्टी, सरकार या संगठन से अधिक प्रभावी पात्र के रूप में उपस्थित हैं

Pratahkal    16-Apr-2024
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Modi Ki Guarantee
 
Modi Ki Guarantee राहुल वर्मा - घोषणा पत्र वास्तविकता के धरातल पर तो चुनावी किसी बड़े परिवर्तन की वजह नहीं बनते, लेकिन हर चुनाव से पहले उनके जारी होने की उत्सुकता अवश्य बनी रहती है। असल में इन घोषणा पत्रों की | भूमिका भोजन में अचार या पापड़ की तरह होती है, जो अगर थाली में न भी हों तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उससे कुछ | जायका जरूर बन जाता है । चुनावी घोषणा पत्र की इसी रस्म अदायगी को पूरा करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा ने भी रविवार को संसदीय चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया। भाजपा ने इसे 'संकल्प पत्र' का नाम दिया है। चूंकि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी प्रतीकों एवं पहचान की राजनीति में काफी विश्वास रखते हैं तो संकल्प पत्र को अपेक्षित समय से कुछ दिन पहले आंबेडकर जयंती के दिन जारी कर एक अंतर्निहित राजनीतिक संदेश देने का भी काम किया गया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी कुछ दिन पहले अपना घोषणा पत्र जारी किया है।
 
यह बहुत ही स्वाभाविक है कि विपक्षा दलों के चुनावी घोषणा पत्र लुभावने वादों पर केंद्रित होते हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल के ऐसे घोषणा पत्र में वादों के साथ अपनी उपलब्धियों का भी कुछ बखान होता है। भाजपा के संकल्प पत्र पर इसी संकल्पना की छाप दिखती है। चूंकि भाजपा पिछले दस वर्षों से केंद्र की सत्ता में है तो उसने अपनी उपलब्धियों के साथ ही उनमें निरंतरता के भाव को प्रदर्शित करने के साथ ही सुखद भविष्य की तस्वीर दिखाई है। कुछ बिंदुओं के आधार पर इसे समझा जा सकता है। पहला अपनी वैचारिकी की कसौटी पर खरा उतरना । दूसरा, सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर समीकरणों को साधना । तीसरा बेहतर भविष्य की रूपरेखा के आधार बिंदु पेश करना | चौथा, विकसित भारत की आधारभूमि तैयार करना एवं लोककल्याण के दायरे को बढ़ाते हुए उसे बेहतर करना और प्रधानमंत्री मोदी की इस पर गहरी छाप ।
 
भाजपा की अपनी एक बहुत स्पष्ट विचारधारा रही है। अपनी स्थापना के बाद से ही वह अपनी वैचारिकी पर अडिग रही है। गठबंधन सरकारों के दौरान जरूर विचारधारा से जुड़े कुछ मुद्दों पर वैसी सक्रियता न दिखी हो, लेकिन मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में पार्टी के तीन प्रमुख वैचारिक वादों को पूरा करने का काम किया है। सबसे पहले तो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया जो एक समय असंभव सा काम लगता था। प्रधानमंत्री मोदी इसे लेकर खासे मुखर भी हैं। अदालती आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की राह खुली और सरकार ने भव्य मंदिर के निर्माण की राह सुगम करते हुए हरसंभव सहयोग प्रदान किया। नागरिकता संशोधन कानून के माध्यम से भी सरकार ने अपनी विचारधारा से जुड़े एक वादे की पूर्ति की समान नागरिक संहिता जैसे एक मूल वैचारिक मुद्दे की दिशा में भाजपा की कुछ राज्य सरकारों ने कदम आगे बढ़ाए हैं और इस संकल्प पत्र के माध्यम से भी भाजपा ने अखिल भारतीय स्तर पर इसके क्रियान्वयन के संकेत देकर इस नीतिगत मोर्चे पर निरंतरता का वादा किया है।
 
आर्थिक सामाजिक मोर्चे पर भाजपा ने अपनी विशिष्ट सोशल इंजीनियरिंग को मूर्त रूप दिया है। कांग्रेस और राहुल गांधी जिस जातिगत जनगणना की आड़ में ओबीसी को लुभाने के मकसद से भाजपा को घेरने की व्यूह रचना बना रहे हैं, उसी ओबीसी से जुड़े पिछड़ा वर्ग आयोग को भाजपा ने अपनी सरकार के दौरान संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है। ग्राम पंचायतों तक आप्टिकल फाइबर पहुंचाया है। नए संस्थान सृजित करने का संदेश भी दिया है जैसे योजना आयोग की जगह नीति आयोग की स्थापना की। इसी प्रकार पुराने संसद भवन की जगह नया बनाकर यही संदेश दिया गया कि बदलते समय के अनुसार बदलाव बहुत आवश्यक है। आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के लिहाज से भाजपा ने एक देश-एक चुनाव की दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में सरकार ने एक समिति गठित भी की, जिसने बीते दिनों अपनी संस्तुतियां पेश की हैं। इसके माध्यम से भाजपा यही संदेश देना चाहती है कि बार-बार होने वाले चुनाव के चलते जो आदर्श आचार संहिता लागू होती है, उसका प्रभाव विकास गतिविधियों पर तो पड़ता ही है और यह संसाधनों के लिहाज से भी खर्चीला होता है। इसलिए समय, ऊर्जा, संसाधन व विकास के मोर्चे पर यह परिवर्तन बहुत आवश्यक है।
 
प्र.म. मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का आह्वान किया है और तीसरे कार्यकाल में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनाने की बात कही है। इस संकल्प की पूर्ति में वह चार वर्गों युवा शक्ति, किसानों, महिलाओं और गरीबों को साधने की बात करते हैं वह इन वर्गों को ही देश की सबसे बड़ी और प्रमुख 'जातियां भी बताते हैं । उनके लिए कार्ययोजना से लेकर संकल्प पत्र में भाजपा के प्रयासों की छाप दिखती हैं। युवा शक्ति के लिए कौशल विकास और मुद्रा योजना का दायरा बढ़ाने की बात है। वहीं किसानों के लिए यही बात सम्मान निधि और एमएसपी के लिए कही जा सकती है। महिलाओं के लिए उज्ज्वला, ड्रोन दीदी जैसे कई बिंदु हैं। वहीं, गरीबों के लिए आयुष्मान योजना के साथ ही 70 वर्ष से अधिक के लोगों के लिए उपचार और मुफ्त राशन जैसी योजनाएं हैं। यहां देश को विकसित बनाने के साथ ही जनकल्याण के दायरे को विस्तृत बनाने की मंशा है।
 
संकल्प पत्र पर पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी की छाप दिखती है। इसमें वह पार्टी, सरकार या संगठन से भी अधिक प्रभावी पात्र के रूप में उपस्थित हैं। उसमें जगह- जगह 'मोदी की गारंटी का ही उल्लेख है। घोषणा पत्र जारी करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार का संकल्प भी दोहराया। भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन इसमें प्रधानमंत्री को इस बात की भी गारंटी देनी होगी कि भाजपा में शामिल होने वाले भ्रष्ट नेताओं पर भी कार्रवाई में कोई ढील नहीं दी जाएगी। ऐसा होने पर ही उनकी यह गारंटी प्रभावी दिखेगी। अन्यथा शायद यह जनता को उतनी आश्वस्त करने में सफल नहीं हो सकेगी। कुछ ही दिनों में यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा के संकल्प पत्र पर जनता क्या विकल्प अपनाती है।