मुंबई । ठीक चार साल पहले महाराष्ट्र के पालघर (Palghar) में दो साधुओं की निर्ममतापूर्वक पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने वर्धा (Wardha) की चुनावी सभा में इस हत्याकांड का जिक्र कर इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है। अब इस मामले में शिवसेना शिंदे गुट भी सक्रिय हो गया है। पालघर जिले में ग्रामीणों की भीड़ द्वारा जूना अखाड़े के दो साधुओं स्वामी कल्पवृक्ष गिरी महाराज एवं स्वामी सुशील गिरी महाराज को 16 अप्रैल, 2020 को पीट-पीटकर मार डाला गया था। उस समय कोविड महामारी का दौर चल रहा था और राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार थी। उस समय भी देशभर के हिंदू संगठनों ने मविआ सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
- सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी
तब के विपक्षी दल भाजपा एवं हिंदू संगठनों द्वारा इस घटना की सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी। लेकिन, उद्धव सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर यह जांच उसे सौंप दी थी। एसआईटी ने उस समय इस मामले की प्रारंभिक जांच कर कुछ गिरफ्तारियां भी की थीं। लेकिन, कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आ सकी। दोनों साधुओं को न्याय दिलाने के लिए उसी दौरान स्वामी सुशील गिरी महाराज की बहन सपना मिश्रा एवं उनकी वृद्ध माता मनराजी देवी ने संत सुशील गिरी जी महाराज धर्मोत्थान एवं मानव सेवा न्यास नामक संस्था का गठन कर महाराष्ट्र सरकार से इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी।
- शिंदे सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
इस संगठन द्वारा लगातार की जा रही मांग के फलस्वरूप ही 11 नवंबर, 2022 को महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने पालघर साधु हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी थी। पिछले साल संत सुशील गिरि की माता मनराजी देवी को मुख्यमंत्री शिंदे ने सरकार की ओर से पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की थी। लोकसभा चुनाव के दौरान यह मामला एक बार फिर गरमा गया है।
- योगी के बयान के बाद शिंदे सरकार सक्रिय
कुछ ही दिन पहले वर्धा में एक चुनावी सभा को संबोधित करने आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यहां पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। उत्तर प्रदेश में ऐसा होता तो मैं आरोपितों को उल्टा टंगवा देता। उनके इस बयान के बाद राज्य की शिंदे सरकार सक्रिय हो गई है। शिवसेना शिंदे गुट के सचिव किरण पावस्कर ने एक बयान जारी कर कहा है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली मविआ सरकार विपक्ष के दबाव में पालघर साधु हत्याकांड की जांच सीबीआई को देने पर सहमत हो गई थी। लेकिन, अचानक कांग्रेस नेता राहुल गांधी का फोन आ जाने के कारण उद्धव सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को नहीं सौंपी।