बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति नहीं बल्कि पत्नी को गुजारा भत्ता देने का दियाआदेश

Pratahkal    13-Apr-2024
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high court 
 
मुंबई। जब भी किसी पति-पत्नी (husband-wife) के बीच तलाक (Divorce) की नौबत आती है और मामला कोर्ट तक पहुंचता है तब आमतौर पर यही देखा जाता है कि कोर्ट पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाती है। ऐसे मामले में कोर्ट पति को ही आदेश देती है कि वो अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता (alimony) दे। मगर, बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) ने इससे हटकर फैसला सुनाया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले में पति नहीं बल्कि पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक पत्नी को अपने बेरोजगार पति को ₹10,000 महीने गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। यह फैसला उस पारंपरिक कानूनी धारणा को चुनौती देता है, जहां आम तौर पर पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया जाता है। उच्च न्यायालय का फैसला निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका के जवाब में था। इस मामले में पत्नी को अपने बेरोजगार पति को गुजारा भत्ता देने का शुरुआती आदेश 13 मार्च, 2020 को कल्याण की एक अदालत ने जारी किया था। इस निर्देश को चुनौती देते हुए पत्नी ने गुजारा भत्ता देने में असमर्थता का तर्क देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।