पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया गणगौर का उत्सव

Pratahkal    12-Apr-2024
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Gangaur festival
 
जोधपुर (कासं)। पूरे प्रदेश में गणगौर का उत्सव (Gangaur festival) मनाया गया। हर जिले में पूजी जाने वाली गणगौर की एक अलग कथा है, इसका एक अलग इतिहास है। इस गणगौर का अपना खुद का बैंक अकाउंट भी है। यही नहीं जोधपुर में आज के दिन निकाली जाने वाली शोभायात्रा के करीब 7 लाख लोग दर्शन भी करते हैं। कमेटी के संचालक मनमोहन भैया (भीम सा) बताते हैं- 1952 में राखी हाउस से मेरे दादा बंशीलाल भैया ने गणगौर के आयोजन की इच्छा अपने मित्र नारायण दास सोनी व अमरचंद मूंदड़ा को बताई तब से उन्होंने जिम्मेदारी संभाली। राखी हाउस से सोने-चांदी के व्यापारी बंशी लाल भैया, नारायण दास सोनी व अमरचंद मुंदडा ने जिम्मेदारी उठाई और गणगौर की सवारी को शुरू किया। तब से लेकर लगातार इस गणगौर की सवारी निकाली जाती है। हमारी पिछली 3 पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही हैं। भीम सा बताते हैं 11 अप्रैल गुरुवार को 72 वां मेला भरेगा। गुरुवार शाम 5 बजे राखी हाउस से ये शोभायात्रा शुरू होकर राखी हाउस दोबारा लौट आती है। इस गणगौर को लेकर यह मान्यता है कि इससे जो भी मुराद मांगे वह पूरी होती है। यह भी एक कारण है कि वर्ष भर में एक दिन जब यह गणगौर बाहर आती है और मेला भरता है तब मन्नत मांगने हजारों श्रृद्धालु पहुंचते हैं।
 
2 दिन रुक कर पीहर लौट आती है गणगौर:
शाम को साढ़े पांच बजे सवारी निकलती है रात ढाई बजे घंटाघर पहुंचते हैं। ढाई बजे पूजा करके जल पिलाकर राखी हाउस में आते हैं। इस दिन यह गणगौर हडियों के चौक अपने ससुराल से राखी हाउस अपने पीहर आती है, प्रतिदिन पूजा और मिष्ठान भोग लगता है। पुंगलपाडा राजू लोहिया गोपी किशन लोहिया के घर रहती है। इसके 2 दिन बाद भोलावणी होती है। इसके बाद पीहर राखी हाउस लौट आती हैं शिव पुराण में भी गणगौर की जिक्र है और छत्तीस कौम में इसकी पूजा होती है। आयोजन समिति के सेक्रेटरी प्रेम प्रकाश जालानी ने बताया कि राखी हाउस से रवाना होकर पुंगलपाड़ा, कबुतरा का चौक, जालोरी गेट, खांडा फलसा, सर्राफा बाजार, मिर्ची बाजार, कटला बाजार होते हुए घंटाघर जाएगा। घंटाघर में माता को विश्राम करवाया जाएगा। घंटाघर से लखारा बाजार होते हुए राखी हाउस लाया जाएगा।
 
राखी हाउस की इस गणगौर को सजने संवारने के लिए करीब 2 किलो सोना पहनाया जाता है। जिसकी कीमत 1 करोड़ से अधिक है। गणगौर का यह सोने के आभूषण गणगौर के नाम के ही है और कमेटी द्वारा खुलवाया हुए बैंक अकाउंट में ही माता के नाम से लॉकर में सुरक्षित रखवाया जाता है। गणगौर के गहने में सिर पर मुकुट, बोर, रखड़ी, नाक में नथ, कानों के झुमके, गले में तीन टीक, इसके साथ तीन चंद्रहार पहनाए जाते है। हाथों में हथफुल, पैरों में पायल व कड़े, चूड़ी कंगन, पाटले व गोखरु, भुजबंद व बाजूबंद पहनाए जाते है । अगुठीयां व हाथ में गोल्ड का ही अर्धचंद्र रहता है। सिर का मुकुट हर वर्ष अलग-अलग डिजाइन में बनता है।
 
गवर माता की पालकी को भी आयोजक समिति ने गोल्ड प्लेटेड बनाया है गणगौर की सवारी जिस पालकी में निकाली जाती है उसे सोने की परत चढ़ाई गई है। कमेटी के संयोजक के अनुसार इस पालकी पर 40 हजार रुपए गोल्ड प्लेटेड के लिए खर्च किए गए है।