कक्षा 5 और 8 के बच्चों को देनी होंगी वार्षिक और पीएटी परीक्षा!

Pratahkal    28-Mar-2024
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annual and PAT examination
 
Mumbai मुंबई। राज्य के सरकारी और अनुदानित स्कूलों (State government and aided schools) के कक्षा 5 और 8 के बच्चों को इस साल अप्रैल में दो परीक्षायें देनी होंगी। इनमें एक वार्षिक परीक्षा होगी और दूसरी प्रोग्रेसिव असेसमेंट टेस्ट (पीएटी) की परीक्षा (Annual and PAT examination) होगी। हालांकि केवल वार्षिक परीक्षा के आधार पर ही यह तय होगा कि किसी बच्चे को अगली कक्षा में प्रमोट करना है या नहीं। गैर अनुदानित स्कूलों के छात्रों को केवल एक यानि केवल वार्षिक परीक्षा ही देनी होगी।
 
राज्य में सरकारी और अनुदानप्राप्त स्कूलों में कक्षा 3 से 8 तक के सभी बच्चों के लिये तीन विषयों में पीएटी की परीक्षा देना अनिवार्य है। तीन विषयों में प्रथम भाषा, गणित और तीसरी भाषा के तौर पर अंग्रेजी विषय शामिल है। यह परीक्षा 4 से 6 अप्रैल तक होगी। राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) इस परीक्षा के लिये प्रश्नपत्र तैयार करेगा। गौरतलब है कि पहले राज्य सरकार ने यह संकेत दिये थे कि इन तीन विषयों की पीएटी परीक्षा ही छात्रों को देनी होगी और इनके लिये वार्षिक परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। स्कूलों को भी अन्य विषयों के लिये अपने हिसाब से प्रश्नपत्र तैयार करने के निर्देश दिये गये थे।
 
सोमवार को एससीईआरटी ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं जिसमें सरकारी और अनुदानिक स्कूलों में कक्षा 5 और 8 के बच्चों के लिये अलग पीएटी परीक्षा आयोजित करने और साथ ही वार्षिक परीक्षा भी अलग से आयोजित करने की जानकारी दी गई है। मौजूदा अकादमिक वर्ष से कक्षा 5 और 8 के असफल बच्चों को उसी कक्षा में रखे जाने की नीति लागू की गई है। कक्षा 3, 4, 6 और 7 के लिये पीएटी परीक्षा को ही वार्षिक परीक्षा माना जायेगा। कक्षा 5 और 8 के लिये वार्षिक परीक्षायें अप्रैल के दूसरे सप्ताह में होंगी। वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले छात्रों को अगला अकादमिक वर्ष शुरु होने से पहले पुनर्परीक्षा का अवसर दिया जायेगा। इस पुनर्परीक्षा में भी असफल होने पर छात्रों को उसी कक्षा में ही पढ़ना होगा। पीएटी परीक्षा के परिणामों का असफल छात्रों को उसी कक्षा में डिटेंशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यानि 5 और 8 कक्षा के छात्रों के लिये वार्षिक परीक्षा ही महत्वपूर्ण होगी। पीएटी परीक्षा के लिये राज्य सरकार ने समय तय किया है लेकिन स्कूल अपनी सुविधानुसार परीक्षा के समय में फेरबदल कर सकते हैं। हालांकि तारीखों में कोई बदलाव नहीं होगा। स्कूलों के लिये फिलहाल दो-दो परीक्षायें आयोजित करना एक अतिरिक्त बोझ बन गया है।