निवेश बढ़ाने में जुटीं सरकारी तेल कंपनियां

Pratahkal    12-Feb-2024
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oil exploration - Pratahkal
 
नई दिल्ली (एजेंसी)। सरकारी तेल कंपनियों (Government Oil Companies) को जहां एक तरफ पारंपरिक ऊर्जा की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारी-भरकम निवेश करना है तो दूसरी तरफ ऊर्जा सेक्टर में हो रहे बदलावों को देखते हुए सोलर, ग्रीन हाइड्रोजन, बायोगैस जैसे सेक्टरों में निवेश करना है। ओएनजीसी और ओआइएल के शीर्ष प्रबंधन ने बताया है कि उनकी कंपनी - अगले डेढ़ से दो दशक के दौरान भारत के ऊर्जा सेक्टर में तकरीबन 2.80 लाख करोड़ रूपये रूपये निवेश करेंगी । भविष्य में निवेश की यह राशि और ज्यादा भी हो सकती है। आयल इंडिया लिमिटेड (ओआइएल) के सीएमडी डा. रंजीत रथ का कहना है कि ऊर्जा उपभोग में बदलाव होना तय है। हालांकि यह उतनी तेज रफ्तार से नहीं होगा, जैसा कि कुछ लोग मानते हैं। दो से तीन दशकों में ऊर्जा क्षेत्र पूरी तरह से बदल जाएगा और एक जिम्मेदारी सरकारी कंपनी के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस बदलाव के हिसाब से रणनीति बनाएं। साथ ही हम पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निवेश भी कम नहीं कर सकते हैं। भारत में तेल व गैस खोजने का काम अभी बहुत सीमित है। इसका विस्तार अब हो रहा है। राजस्थान, त्रिपुरा, असम, अरूणाचल प्रदेश, केरल, अंडमान निकोबार जैसे क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन के नए फील्ड मिलने की संभावना हैं जहां भारतीय कंपनियों को ध्यान देना होगा । 
 

तेल और गैस खोज में लगाया जाएगा निवेश का एक बड़ा हिस्सा

 
ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) के प्रबंध निदेशक राजश्री गुप्ता का कहना है कि कंपनी वर्ष 2030 तक समूचे ऊर्जा सेक्टर में एक लाख करोड़ रूपये और उसके बाद वर्ष 2038 तक और एक लाख करोड़ रूपये का निवेश करेगी। निवेश का एक बड़ा हिस्सा भारत में तेल व गैस खोज में लगाया जाएगा। इसके बाद ऊर्जा सेक्टर में तेजी से बदलाव की संभवना है और फिर हमें उसके हिसाब से दूसरे सेक्टर में अपनी पहुंच तेज करनी होगी। इसी सप्ताह ओएनजीसी और एनटीपीसी ने देश में नवीकरणीय क्षेत्र में साथ-साथ परियोजना लगाने का समझौता किया है। गुप्ता बताते हैं कि 2030 तक हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में स्थापित क्षमता 10 हजार मेगावाट होगी, लेकिन उसके बाद इसमें तेजी से वृद्धि हो सकती है। क्षमता विस्तार के लिए कंपनी नई परियोजना लगाने के साथ इस सेक्टर की मौजूदा कंपनियों की खरीदने के विकल्प को लेकर भी आगे बढ़ रही है।
 

ऊर्जा की मांग के मामले में भारत विकसित देशों से पीछे

 
ऊर्जा की मांग के मामले में भारत अभी विकसित देशों से काफी पीछे है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत तकरीबन 6841 किलोग्राम है, चीन में यह 2224 किलोग्राम है, इजरायल में 2762 किलोग्राम है जबकि भारत में सिर्फ 650 किलोग्राम है। अपनी 7 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर की वजह से इस मांग में दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा तेजी से वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक दुनिया में तेल की जितनी अतिरिक्त मांग बढ़ेगी उसका 25 प्रतिशत सिर्फ भारत में होगा ।