मुंबई । रविवार को नन्दनवन (Nandanvan) का तीर्थंकर समवसरण का विशाल पण्डाल भी मानों छोटा महसूस हो रहा था। आचार्य महाश्रमण (Acharya Mahashraman) के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ पर्यूषण महापर्व (Paryushana Mahaparva) के छठे दिन के मुख्य कार्यक्रम शुरू हुआ। मुनि पार्श्वकुमार ने भगवान अरिष्टनेमि के जीवन वृत्तांत को सुनाया। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा व मुख्यमुनि महावीरकुमार ने तप-त्याग धर्म के विषय में जनता को उत्प्रेरित किया। साध्वी वैभवप्रभा ने जप दिवस के संदर्भ में गीत का संगान किया।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा ने जप दिवस के संदर्भ में मंत्र के महत्त्व को व्याख्यायित किया। आचार्य महाश्रमण ने भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा को आगे बढ़ाया। उन्होंने जप दिवस पर कहा कि आज जप दिवस है। जितना संभव हो सभी को नमस्कार महामंत्र की एक माला प्रतिदिन करने का प्रयास करना चाहिए। जप का प्रयोग में जितना समय लग सके, अच्छा हो सकता है। आचार्यश्री ने संवत्सरी के संदर्भ में प्रेरणा प्रदान करते कहा कि संवत्सरी का उपवास करना तो सामान्य बात है। इस दिन बच्चों को भी भले ही कुछ घंटे आंशिक रूप में ही उपवास कराने का प्रयास होना चाहिए।