मुंबई । विरार में डॉ. स्नेहप्रभा मसा ने कहा कि मन से ही कर्मबंधन होते है मन से ही कर्म तोडे जाते है। मन हमारा शत्रु भी है, मित्र भी है। मन से हमेशा शुद्ध सात्विक भावना का चिंतन होना चाहिए। भगवान (God) बनने के लिए भव्य भावना चाहिए। साध्वी डॉ. प्रज्ञाश्री ने भगवान महावीर जन्म नाटिका प्रस्तुत करायी। सभा में लक्ष्मी लाल कच्छारा, प्रकाश सोलंकी, किरण जैन, खुबीलाल जैन, जितेंद्र दोशी, कालु कच्छारा, आनंद कच्छारा आदि उपस्थित रहे।