अयोध्या में श्रीराम मंदिर के साथ समधिल द्वार कर ही संवरेगी हनुमानगढ़ी

आकार- प्रकार देने के साथ स्वचालित सीढ़ी अथवा लिफ्ट लगाने पर विचार

Pratahkal    17-Sep-2023
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Hanumangarhi Ayodhya
 
अयोध्या (एजेंसी)। अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) के साथ बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी को भी संवारा जा रहा है। रामनगरी (Ramnagari) में करीब दो दशक पहले किलेनुमा हनुमानगढ़ी का नवीनीकरण कराया गया था, अब श्रीरामलला की प्रतिमा की प्रतिष्ठा के साथ हनुमानगढ़ी (Hanumangarhi) की भी साज-सज्जा की तैयारी की जा रही है।
 
श्रीरामलला के दर्शन मार्ग पर ही हनुमानगढ़ी है और राम मंदिर निर्माण के साथ न केवल रामलला के दर्शनार्थियों में आठ से दस गुना तक वृद्धि हुई है, बल्कि रामदूत की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में भी इसी अनुपात में दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है । नवनिर्मित मंदिर में श्रीरामलला की स्थापना के साथ यहां भी दर्शनार्थियों की संख्या में वृद्धि होना तय है। ऐसे में 76 सीढ़ियों के माध्यम से हनुमानगढ़ी के गर्भगृह तक पहुंचने को अधिक सुगम करने के साथ बुजुर्गों दिव्यांगों की सुविधा के लिए लिफ्ट या स्वचालित सीढ़ी लगाने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही अपेक्षाकृत संकरे निकास द्वार को समुचित आकार भी दिया जाना है। हनुमानगढ़ी का संपूर्ण परिसर 52 एकड़ का है, पारंपरिक वास्तु के हिसाब से हनुमान जी प्रतिमा के सामने के 100-125 लोगों के एकत्र होने का स्थान है। हनुमानगढ़ी का प्रबंध तंत्र इसको भी विस्तार देने की योजना बना रहा और विस्तार के बाद यहां 500 से हजार श्रद्धालु एकत्र हो सकेंगे। हनुमानगढ़ी का प्रबंध करने वाली पंचायत इस व्यवस्था को 22 जनवरी, 2024 को मंदिर में श्रीरामलला की स्थापना के साथ लागू करने का प्रयास करेगी। पंचायत ने निर्माण से जुड़ी कुछ प्रतिष्ठित कार्यदायी संस्थाओं से बात शुरू की है।
 
इनसे संचालित है पंचायत
हनुमानगढ़ी की पंचायत शीर्ष महंत गद्दीनशीन प्रेमदास, हरिद्वारी पट्टी के महंत मुरलीदास, सागरिया पट्टी के महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजयदास, उज्जैनिया पट्टी के महंत संतरामदास, बसंतिया पट्टी के महंत रामशरणदास और सरपंच महंत रामकुमारदास सहित 50 के करीब पंचों के माध्यम से संचालित है।
 
भीड़ नियंत्रण के लिए नागा साधुओं के प्रशिक्षण पर विचार
हनुमानगढ़ी में अक्सर श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ता है। पुलिसिया रूख यदा- कदा श्रद्धालुओं को आहत भी करता है। ऐसे में हनुमानगढ़ी का प्रबंधतंत्र परकोटे में भीड़ नियंत्रण के लिए नागा साधुओं को प्रशिक्षित करने की योजना पर भी विचार कर रहा है। प्रशिक्षण पुलिस एवं प्रशासन के समन्वय से संभावित है। प्रबंधन की भावना हनुमानगढ़ी की ओर से श्रद्धालुओं को अनुशासन के साथ अधिकाधिक आत्मीयता प्रदान करने की है।