ठोस शोध से अपने प्रति गलत धारणा का उत्तर देने में सक्षम हो रहा संघ

अपनी नीतियां ठीक से लोगों तक पहुंचाने के लिए संघ ने 175 शोध संगठनों की शुरूआत की

Pratahkal    16-Sep-2023
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Rashtriya Swayamsevak Sangh 
पुणे (एजेंसी)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) अब अपने और हिदुत्व के विरूद्ध बनाई जाने वाली गलत धारणाओं (नैरेटिव) का उत्तर देने के लिए खुद को शोध के जरिए सक्षम बना रहा है। यह काम वह पूरे देश में फैले अपने शोध संगठनों को मजबूत बनाकर कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर कांग्रेस (Congress) सहित कई अन्य दल आम लोगों के बीच अनेक प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं। इन दलों एवं मीडिया के एक वर्ग द्वारा अक्सर संघ के नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है, जिससे समाज में संघ और उसकी नीतियों को लेकर भ्रम पैदा होता है। देशहित में अपनी इन नीतियों को सही तरीके से लोगों के सामने पहुंचाने के लिए संघ ने पौने दो सौ के करीब शोध संगठनों की शुरूआत की है। इन संगठनों में संघ के प्रचारक नाममात्र को ही होते हैं। इनकी बागडोर ज्यादातर संघ से सद्भाव रखने वाले उस क्षेत्र के विशेषज्ञों के हाथों में दी गई है। इनमें डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील, समाजशास्त्री, सेना एवं सुरक्षाबलों के सेवानिवृत्त अधिकारी आदि शामिल हैं। संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) अध्ययन केंद्र ऐसे संगठनों (organizations) में से एक है, जिसे इस पूरी प्रक्रिया का बेहतरीन उदाहरण कहा जा सकता है । इस अध्ययन केंद्र द्वारा किए गए शोध के परिणामस्वरूप ही सरकार जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं धारा 35ए (Article 370 and Section 35A) की बारीकियां समझकर उन्हें हटाने में सक्षम हो सकी। यही नहीं, सर्वोच्च न्यायालय में अनुच्छेद 370 (Article 370) को दी गई चुनौती के बाद भी इस अध्ययन केंद्र के शोध न्यायिक स्तर पर लड़ाई लड़ने में काफी काम आ रहे हैं। ऐसे ही अध्ययन केंद्र संघ ने पूर्वोत्तर की समस्याओं से निजात के लिए, ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए, बांग्लादेश और म्यांमार (Bangladesh and Myanmar) जैसे देशों से होने वाली घुसपैठ रोकने आदि पर शोध करने के लिए बनाए हैं।
 
इनमें काम करने वाले बहुत कम कार्यकर्ता वेतनभोगी होते हैं। ज्यादातर विशेषज्ञ अपनी रूचि से लेकिन प्रोफेशनल तरीके से इस काम में लगे हैं। शोध के इन दीर्घकालीन प्रकल्पों के अलावा दैनिक राजनीति में भी अब संघ और उससे जुड़े संगठन त्वरित एवं ठोस प्रतिक्रिया देते दिखाई देते हैं । इसके पीछे भी संघ द्वारा अपनाई गई नई रणनीति ही काम कर रही है। अब संघ के प्रचार विभाग से जुड़े उसके अधिकारी दैनिक खबरों का नियमित अध्ययन और विश्लेषण कर उसका उचित उत्तर देने की रणनीति बनाते हैं । फिर उसे प्रचार माध्यमों तक पहुंचाया जाता है ।