मुंबई । मेवाड़ संघ (Mewad Sangh) मुंबई (Mumbai) उपसंघ घाटकोपर (Ghatkopar) में पर्यूषण पर्व (Paryushana Festival) के दूसरे दिन स्वाध्यायी निर्मला सिंघवी ने अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया।
स्वाध्यायी प्रमिला सुर्या ने कहा कि शरीर का श्रृंगार नहीं आत्मा का श्रृंगार करना चाहिए। शरीर यहीं पर रहने वाला है आत्मा अपना आवरण बदल देती है। बाहरी प्रसाधनों से शरीर को सजाने-संवारने की बजाय छोटे छोटे त्याग करते हुए आत्मा को सजाया संवारा जा सकता है।
स्वाध्यायी सुरभि बोहरा ने कहा कि पाप कर्म बहुत ही कठिनाई से दूर होते हैं। पाप कर्मों को नष्ट करने के लिए शरीर को तप तपस्या द्वारा तपाकर पसीना बहाना पड़ता है। धर्म आराधना करके पाप कर्मों को मिटाया जा सकता है। इस अवसर पर पूर्व संघ अध्यक्ष सुरेश डी सिंघवी, अध्यक्ष चांदमल कर्णावट, मंत्री हिम्मत रांका, घीसूलाल डांगी, नाथूलाल खरवड़, मदनलाल पामेचा, मनोहरलाल सोनी, वर्दी चंद्र नाहर, फतेहलाल मेहता, विनोद पामेचा, अर्जुनलाल कोठारी, सुरेश पीपाड़ा, दिनेश पीपाड़ा, महेन्द्र पीपाड़ा, दिलीप पगारिया, दिनेश सिंघवी, दिनेश रायसोनी, रमेश राजावत, अखिलेश चोरड़िया, प्रकाश कोठारी, सम्पत भंडारी, सुभाष खरवड़, सम्पत ओस्तवाल, अरविंद पानगडिया, गौतम खरवड़, महिला मंडल अध्यक्ष ललिता डांगी, मंत्री रक्षा कुकड़ा, नवयुवक मंडल अध्यक्ष शैलेश रांका, मंत्री दिलपेश चीपड़, रवि सोनी, मुकेश नाहर, कैलाश पामेचा आदि की उपस्थिति रही। यह जानकारी देवीलाल ईन्टोदिया ने दी।