अमेरिका के साथ नई डील से उड़ान भरेगी भारत की डिफेंस इंडस्ट्री

Pratahkal    08-Jun-2023
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Pratahkal - Main News Update - India's defense industry will fly with the new deal with America 

नई दिल्ली : भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच रणनीतिक (Strategic) महत्व के कई क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग और एक-दूसरे के सहयोग से उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के लिए रक्षा औद्योगिक सहयोग (Defense Industrial Cooperation) की रूपरेखा का ऐलान हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) के दिल्ली (Delhi) दौरे में इस रोड मैप की घोषणा एक बड़ी घटना है। इसके तहत, समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाई तक युद्ध और निगरानी प्रणाली के क्षेत्रों में आपसी सहयोग की रूपरेखा तय की गई है। इसे लेकर भारत और अमेरिकी की तरफ से जारी अलग-अलग बयानों से स्पष्ट हो जाता है कि दोनों देशों का लक्ष्य क्या है । अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा _गया है, इस पहल का उद्देश्य अमेरिका और भारत के बीच रक्षा क्षेत्रों में आपसी सहयोग की पूरी परिस्थिती बदलनी है। इसके तहत, वो प्रस्ताव भी शामिल हैं जिनसे भारत को अपनी रक्षा आधुनिकीकरण योजनाओं को तेजी से जमीन पर उतारने में मदद मिलेगी। अमेरिकी राक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन की राजकीय यात्रा से पहले ऑस्टिन प्रमुख रक्षा साझेदारी को मजबूत करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारत में हैं। इधर, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश नई तकनीकों के साझा विकास के साथ- साथ मौजूदा और नई प्रणालियों के साझा उत्पादन के अवसरों की पहचान करेंगे। इसके साथ ही, दोनों पक्ष डिफेंस स्टार्ट अप (Defense start up) के बीच आपसी सहयोग भी बढ़ाएंगे। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की बातचीत में टेक्नॉलजी ट्रांसफर के जरिए भारत में ही लश्व - 414 फाइटर जेट इंजन का निर्माण, भारतीय सेना के लिए अमेरिका से हाइटेक ड्रोन की खरीद, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात सहित कई मुद्दों पर चर्च हुई। पिछले तीन वर्षों से भी ज्यादा समय से एलएसी पर चीन के साथ हालात तनावपूर्ण हैं ।
 
एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार दिवसीय अमेरिका यात्रा के दौरान भारत में जीई - 414 इंजन बनाने की डील की घोषणा की जाएगी। यह इंजन हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके-2 समेत भारत के अन्य स्वदेशी लड़ाकू विमानों को ताकतवर बनाएगा। इनमें एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) और ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर (टीईडीबीएफ) भी शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, जीई -414 इंजन डील भारत में नई टेक्नॉलजी को लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। अधिकारियों ने कहा कि भारत तीनों सेनाओं के लिए अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने वाला है। अभी चर्चा यह चल रही है कि कितने ड्रोन खरीदने की जरूरत है। पहले करीब 3 अरब डॉलर में नौसेना, वायु सेना और थल सेना, तीनों के लिए 10-10 यानी कुल 30 ड्रोन खरीदने की योजना थी। भारतीय नौसेना ने साल 2020 में अपनी खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका से एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन की एक जोड़ी लीज पर ली थी । एमक्यू-9 बीएस ने नौसेना को हिंद महासागर पर कड़ी नजर रखने में मदद की है। नौसेना ने चीन की चालों पर नजर रखने के लिए इसके जरिए क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। दोनों रक्षा मंत्रियों की बातचीत में भारत-अमेरिका के बीच औद्योगिक सहयोग की बाधाओं को दूर करने पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने एक नई व्यवस्था पर बातचीत शुरू करने का भी फैसला किया जो सप्लाई चेन में अप्रत्याशित बाधाओं को दूर करने के लिए एक-दूसरे के औद्योगिक संसाधनों के इस्तेमाल को सुगम बनाएगी। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि करीबी उद्योग-से-उद्योग साझेदारी और लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाना महत्वपूर्ण है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है, लॉयड ऑस्टिन और राजनाथ सिंह ने दोनों देशों के उद्योगों के बीच सहयोग के आड़े आने वाले नियम-कानूनों की समीक्षा करने और सप्लाई सिस्टम की सुरक्षा और एक पारस्परिक रक्षा खरीद समझौते पर बातचीत शुरू करने का संकल्प लिया, जो दीर्घकालिक सप्लाई चेन स्टैबिलिटी को बढ़ावा देगा। ऑस्टिन ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी बातचीत की। अमेरिकी बयान में कहा गया है, उनकी बैठकों के दौरान, लॉयड और उनके समकक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। हमने हिंद-प्रशांत के लिए साझा समझ को लेकर भारत के साथ मिलकर सहयोग की प्रतिबद्धता भी जताई है।