मोदी ने बदली भारत की वैश्विक छवि

विश्व में भारत की महत्ता पर में हो रही वृद्धि का एक कारण यह भी है कि मोदी सरकार ने अतीत में गढ़ी गई सीमाओं को लांघकर आत्मविश्वास भरे रवैये का परिचय दिया.....

Pratahkal    01-Jun-2023
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Pratahkal - Lekh - PM Modi
 
श्रीराम चौलिया
 
यदि 2014 से 2023 के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत (India) का आकलन किया जाए तो आपको एक स्पष्ट कायाकल्प दिखेगा । नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन इसकी प्रमुख वजह है । जिस सक्षम, शक्तिशाली, दृढ़निश्चयी और नेतृत्वकर्ता भारत की अपेक्षा विश्व को लंबे अर्से से थी, उन उम्मीदों पर भारत पिछले नौ वर्षों में ही खरा उतर पाया है। विश्व में बढ़ती भारत की प्रतिष्ठा के मूल कारक स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ही हैं, जिन्होंने अपने अथक प्रयासों से आवश्यक परिवर्तनों को साकार रूप दिया ।
 
अंग्रेजी की एक कहावत का यही सार है कि 'प्रत्यक्ष होकर रहना आधी लड़ाई जीतने के समान है।' गत नौ वर्षों में भारत ने इसे चरितार्थ कर दिखाया है, जिसका श्रेय मोदी की विदेश यात्राओं और कूटनीतिक बैठकों में प्रभावी उपस्थिति को जाता है। 2014 के बाद विश्व का कोई ऐसा कोना नहीं रहा, जहां प्रधानमंत्री मोदी और देश के अन्य उच्च अधिकारियों ने कदम न रखे हों। इसका बड़ा असर पड़ा। 2014 से पहले अधिकांश देशों में भारत को लेकर निराशाजनक रवैया हुआ करता था, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्रियों ने उन्हें प्राथमिकता नहीं दी और निचले स्तर के अधिकारियों के कंधों पर कूटनीति (Diplomacy) का दारोमदार छोड़ दिया ।
 
आज दुनिया भारत के प्रधानमंत्री को प्रथम कूटनीतिज्ञ के तौर पर भी देखती है। छोटे से छोटा देश हो या महाशक्ति, सभी ने मोदी युग में सर्वव्यापी भारत का दर्शन किया है। उन्हें यह अनुभूति हुई है कि अब यह वह भारत नहीं रहा, जो वैश्विक मामलों में अनुपस्थित या शिथिल रहा करता था। अंतरराष्ट्रीय नेताओं के साथ सहज ही घुलमिल जाने के मोदी के हुनर का ही कमाल है कि आज भारत के घनिष्ठ मित्र देशों की संख्या खासी बढ़ गई है। जिस किसी भी वैश्विक नेता ने मोदी को गले लगाया, वहां की पूरी राज्य व्यवस्था और उद्योग जगत भारत के सरोकारों एवं हितों को अधिक गंभीरता से लेने लगे हैं। विदेश में आपदाओं के समय राहत में मोदी की यही 'पर्सनल केमिस्ट्री' और व्यक्तित्व बेहद उपयोगी सिद्ध हुए ।
 
पिछले नौ वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत की महत्ता में वृद्धि का एक कारण यह भी है कि मोदी सरकार ने पुरानी गढ़ी गई सीमाओं को लांघकर आत्मविश्वास भरे रवैये का परिचय दिया । भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका का 'क्वाड' समूह इसका बड़ा उदाहरण है। कहीं चीन बुरा न मान जाए, इस भय से दशक भर तक निष्क्रिय रहने के बाद क्वाड का पुनर्जागरण और सशक्तीकरण संभव हो पाया तो इसी कारण कि मोदी सरकार ने सामरिक संकोच के बदले सामरिक साहस का मार्ग चुना।
 
वर्तमान भारत यह सोचकर कूटनीतिक रणभूमि से दबे पांव नहीं भाग निकलता कि वहां डटे रहने से न जाने कौन विरोधी कुपित हो जाए मोदी का भारत परिणामों के डर से राष्ट्रीय सुरक्षा और मूल हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर रहा है, जिसका संकेत मित्रों और शत्रुओं दोनों तक पहुंच रहा है।
 
विगत नौ वर्षों की एक उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि यह भी रही है कि भारत ने घरेलू सुधारों के बल पर तेज आर्थिक प्रगति की है। आज दुनिया में भारत भरोसेमंद साझेदार की हैसियत रखता है और इसी कारण हर देश भारत के साथ कारोबार बढ़ाने को आतुर है। मोदी युग में विदेशी निवेश और व्यापार के आंकड़े नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं, जो इससे पहले कभी नहीं प्राप्त हुए थे ।
 
बीसवीं शताब्दी के शुरूआती पंद्रह से बीस वर्षों की अवधि में चीन स्वयं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक रूप से आकर्षक बनाकर मध्यम शक्ति से महाशक्ति बन गया। आज मोदी का भारत उसी प्रकार की ऐतिहासिक छलांग लगाने की प्रक्रिया में प्रयासरत है और अच्छी बात यह है कि इस दिशा में उसे बंटे हुए विश्व के सभी खेमों से उचित सहयोग भी मिल रहा है।
 
नई भारतीय विदेश नीति में सांस्कृतिक विश्वास और अभिव्यक्ति भी एक उल्लेखनीय पहलू है। मोदी सरकार ने औपनिवेशिक दासत्व और भ्रमित राष्ट्रीय पहचान को काफी हद तक मिटाया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसे 'इंडिया' को पुनः 'भारत' बनाने का कार्य कहा है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले यह तय नहीं था कि भारत विश्व समुदाय में किस संस्कृति और सभ्यता का प्रतिनिधि था ।
 
आज जब अत्यधिक वैश्वीकरण और 'सर्वदेशीय' मूल्यों पर प्रश्नचिह्न लग गए हैं, तब मोदी सरकार ने योग से लेकर बुद्ध तक और श्रीअन्न से लेकर संतुलित जीवनशैली तक भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को विश्व कल्याण हेतु समर्पित किया है। अब भारत के प्रति यह धारणा बनी है कि भारतीय सभ्यता के पास विश्व की तमाम समस्याओं के समाधान हैं। मोदी सरकार ने डंके की चोट पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और संवाद के माध्यम से इसे और प्रखर किया है।
 
मोदी ने भारत को फिर से विश्वगुरू बनाने की ठानी है और इस प्रण को पूर्ण करने के लिए पिछले नौ वर्षों में कई सार्थक पहल हुई हैं। इसी कड़ी में अब जी-20 की अध्यक्षता के अंतर्गत भारतीय विवेक और ज्ञान पर आधारित विश्व कल्याण के प्रयासों ने देश की 'साफ्ट पावर' को और बढ़ाया है। कुछ पश्चिमी निंदकों ने भारतीय सभ्यता पर आधारित नीतियों को 'धार्मिक कट्टरवाद' के सांचे में ढालने की कोशिश तो की, किंतु विश्व में इस गलत चित्रण को स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि भारतीय महानता से वाकई 'सबका साथ और सबका विकास' हो रहा है।
 
मोदी सरकार द्वारा तीन करोड़ से अधिक प्रवासियों के मनोबल और संगठन पर ध्यान देना भी विश्व में भारत की निरंतर बढ़ती साख का कारण है । अनिवासी भारतीयों क सशक्त समर्थक वर्ग बनाने का जो काम गत नौ वर्षों में हुआ, उतना स्वतंत्रता के बाद के कई दशकों में नहीं हुआ। आज सशक्त प्रवासियों के होते हुए किसी भी देश का भारत के विरूद्ध रूख अख्तियार करना आसान नहीं है। इस अमूल्य पूंजी को निखारने और संवारने में मोदी का योगदान अतुलनीय है। संकेत यही हैं कि अगले कुछ वर्षों मे भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और साथ ही चीन एवं अमेरिका के बराबर की शक्ति होने के मार्ग पर बढ़ेगा। अगर बीते नौ वर्षों में इसकी नींव न पड़ी होती तो भला कैसे इतने सुखद भविष्य की तस्वीर दिखती ?