एकला चलो रे' की रणनीति पर टीएमसी

कांग्रेस को त्यागकर विरोधियों को लेकर आगे बढ़ रहीं ममता तृणमूल कांग्रेस का फोकस 2024 में होने वाले आम चुनावों पर ममता का साथ देगी समाजवादी पार्टी, जुड़ सकती है बीजेडी भी

Pratahkal    21-Mar-2023
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TMC
 
कोलकाता : संसद के बजट सत्र (Budget session of parliament) के दूसरे चरण में भी टीएमसी (TMC) 'एकला चलो रे' की रणनीति पर ही काम कर रही है। इस बार भी वह कांग्रेस (Congress) के अगुआई वाले विपक्षी खेमे से दूरी बनाकर चल रही है। इस बार सदन के अंदर होने वाली विपक्षी दलों की मीटिंग में आम आदमी पार्टी भी आ रही है, लेकिन टीएमसी इससे दूर रहती है। सत्र शुरू होने से ठीक पहले ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने एलान किया था कि वह अगला आम चुनाव अकेले लड़ेंगी और किसी दल से गठबंधन नहीं करेंगी। हालांकि जब विपक्षी दलों ने टीएमसी के इस स्टैंड पर सवाल किया तो पार्टी ने बयान जारी कर दिया कि वह अडाणी मुद्दे पर जेपीसी गठन की उनकी मांग के साथ है।
 
2024 आम चुनाव पर फोकस
 
दरअसल टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी 2024 आम चुनाव पर अभी से ध्यान दे रही हैं। वह इसके लिए पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर ही फोकस करना चाहती हैं। इसमें वह किसी से भी गठबंधन नहीं करेंगी। पिछले दिनों एक विधानसभा (Assembly) सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद वह और सतर्क हो गई हैं और अपनी सबसे मजबूत सिवासी जमीन किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होने देना चाहती हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में टीएमसी खुद को बंगाल तक सीमित और पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक कर सकती है।
संसद में निकालेगी रैली
 
तृणमूल कांग्रेस (Trinamool congress) के सूत्रों ने बताया कि अगर हफ्ते आम लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं को उठाने की इजाजत नहीं दी गई तो ममता बनर्जी की पार्टी विरोध रैली निकालेगी। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सासंद (Loksabha MP) सुदीप बनर्जी ने कहा था बजट सत्र में सत्ताधारी दल और कांग्रेस के बीच राहुल को टिप्पणी और माफी नहीं मांगे जाने के कारण सत्र नहीं चलने दिया जाएगा। पिछले सप्ताह ही तृणमूल कांग्रेस ने काले कपड़े बांधकर विरोध किया था
 
जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं
 
तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि संसद में इस दिनों कोई चर्चा नहीं हो रही है। चाहे वो देश के आम लोगों की दैनिक जरूरतों पर चर्चा ही गया फिर एलआईसी (LIC) पर अडानी की चर्चा क्यों नहीं? एलआईसी के बारे में कोई चर्चा क्यों नहीं होती ? गैस पर चर्चा क्यों नहीं की जा रही है? फिर सीएए और एनआरसी पर क्यों नहीं। एनआरसी राज्य सरकार के हाथ में है।