नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को लिव-इन (Live-in) रिलेशनशिप (Relationship) के मैडेटरी रजिस्ट्रेशन (Registration) की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता को जमकर फटकार भी लगाई। दिल्ली के श्रद्धा वालकर मर्डर केस के सामने आने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। सोमवार को मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में पहुंचा। सुनवाई के दौरान सीजेआई बोले ये सब क्या है, लोग यहाँ कुछ भी लेकर आते हैं। हम ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाना शुरू करेंगे। याचिका ममता रानी नाम की महिला ने दर्ज की थी। सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा- रजिस्ट्रेशन किसके साथ, केंद्र सरकार (Central government) के साथ, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों से केंद्र सरकार को क्या लेना-देना। सीजेआई ने दो सवाल पूछते हुए कहा, आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या लिव इन को रोकने की हम इस मूर्खताभरी याचिका को खारिज करते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप में बढ़ रहे क्राइम (Crime) को रोकने लगाई थी याचिका
ममता रानी ने लिव-इन रिलेशनशिप्स के दौरान होने वाली घटनाओं को देखते हुए यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि कोर्ट ने पहले भी इस तरह के संबंधों को मौलिक अधिकारों के दायरे में माना है लिव-इन में रहने वालों का केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन करे, ताकि पुलिस (Police) के पास इनका रिकॉर्ड मौजूद हो ये सिलसिला शुरू हुआ था आफताब पूनावाला और श्रद्धा बालकर की कहानी से दिल्ली में पिछले साल नवंबर में पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा किया था जिसके बाद से इस तरह की कई खबरें सामने आई थीं कि लिव इन में रहने वाले पार्टनर ने प्रेमी/प्रेमिका की हत्या करके उसके टुकड़े कर दिए या लाश को ठिकाने लगा दिया।