चैत्र नवरात्रि

नौका पर होगा माता का आगमन

Pratahkal    20-Mar-2023
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चैत्र नवरात्रि
 
इस साल चैत्र नवरात्रि (Chaitra navratri) की शुरूआत 22 मार्च (22 March) से होगी, जो 30 मार्च तक रहेगी। साथ ही 30 मार्च को श्रीराम नवमी (Shri Ram Navami) मनाई जाएगी। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में नवरात्रि को बेहद पवित्र माना गया है । इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इन नौ दिनों में माता रानी की पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
 
इस बार की चैत्र नवरात्रि को बेहद ही खास माना जा रहा है, क्योंकि ये पूरे 9 दिन की होगी। इस साल 22 मार्च से लेकर 30 मार्च तक नवरात्रि है और 31 मार्च को दशमी के दिन पारण होगा। शास्त्रों के अनुसार, पूरे नौ दिन की नवरात्रि शुभ मानी जाती है। इसके अलावा इस बार मां दुर्गा का आगमन नाव यानी नौका पर हो रहा है। यह भी एक प्रकार का शुभ संकेत है। वैसे तो मां दुर्गा सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि के पावन दिनों में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्रि (Navratri) का प्रारंभ (Start) जिस दिन होता है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। चैत्र माह में नवरात्रि की शुरूआत बुधवार को हो रही है। ऐसे में देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन नौका पर होगा। नौका पर मां दुर्गा का आगमन बहुत ही शुभ होता है। नौका पर मां के आगमन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में विधि-विधान से माता की पूजा करने से भक्तों को हर कार्य में सफलता मिलती है।
 
चैत्र नवरात्रि 2023 पर महासंयोग
 
इस बार नवरात्रि पर बनने वाले विशेष महासंयोग बेहद खास है। चैत्र मास की नवरात्रि इस बार बुधवार, 22 मार्च को शुरू हो रही है जो 30 मार्च तक रहेगी। जो संपूर्ण 9 दिवसीय नवरात्र है। इसमें तिथियों की घटबढ़ नहीं है। प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 10 बजकर 53 मिनट पर लग जाएगी। इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि (Navratri) की शुरूआत कलश स्थापना के साथ होगी। इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख- समृद्धि कारक कहा जाता है। पूरे 9 दिनों के नवरात्रि में मां के 9 स्वरूपों की पूजा होगी । चैत्र नवरात्रि इस बार पूरे नौ दिनों की होगी। इस बार तीन सर्वार्थ सिद्धि, तीन रवि योग, दो अमृत सिद्धि योग और गुरू पुष्य का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग 23, 27 और 30 मार्च को लगेगा। अमृत सिद्धि योग 27 व 30 मार्च को और रवि योग 24, 26 व 29 मार्च को लगेगा। नवरात्रि के अंतिम दिन श्री रामनवमी पर गुरु पुष्य योग का महासंयोग बन रहा है।
 
चैत्र प्रतिपदा (Chaitra Pratipada) से नवसंवत्सर का प्रारंभ
 
चैत्र प्रतिपदा से ही नवसंवत्सर का प्रारंभ होता है, माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस वर्ष के राजा बुध और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। जिसके चलते शिक्षा क्षेत्र में बहुत क्रांति के अवसर मिलेंगे और महिलाओं का भी विशेष उत्थान इस वर्ष दिखाई पड़ेगा।
 
नवरात्रि के 9 दिनों का महत्व
 
नवरात्रि मां के अलग-अलग रूपों को निहारने का सुंदर पर्व है। माना जाता है कि नवरात्रि में किए गए प्रयास शुभ संकल्प बल के सहारे देवी दुर्गा की कृपा से सफल होते हैं। काम, क्रोध, मद, मत्सर और लोभ आदि जितनी भी राक्षसी प्रवृत्तियां हैं उनका हनन करके हम विजय का उत्सव मनाते हैं। हर एक व्यक्ति जो पूरे वर्ष भर कार्य करते-करते थक जाता है, उसके लिए यह नौ दिन ऊर्जा समेटने का अवसर है। यह अवसर है शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि, बुद्धि की शुद्धि और सत्व की शुद्धि का और शुद्धिकरण का यह पवित्र पर्व ही नवरात्रि है ।
 
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 2023
 
कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें । कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें । इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।