जयपुर (कास)। राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने विश्व की बढ़ती आबादी को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए मोटे अनाजों की खेती (Farming) को सभी स्तरों पर प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि पोषण से भरपूर मोटे अनाजों के नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है, इसलिए मोटे अनाजों के उत्पादों को आम जनता में लोकप्रिय करने के अधिकाधिक प्रयास किए जाने चाहिए।
राज्यपाल मिश्र गुरुवार को कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (Sri Karan Narendra College of Agriculture), जोबनेर (Jobner) के दीक्षांत समारोह (Convocation) के अवसर पर राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की पहल पर ही वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है और मोटे अनाजों के महत्व को समझने एवं इनके उत्पादन जागरूकता के लिए प्रयास शुरू हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, संवा, कंगनी, चेना एवं कोदो पारम्परिक रूप से भारतीय भोजन का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के अधिकतर हिस्सों में आज भी मोटा अनाज आम लोगों के भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राज्यपाल ने कहा कि यह समय स्मार्ट कृषि का है। रिमोट सेन्सिंग, आईओटी, रोबोटिक्स, बिग डाटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने खेती में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को स्मार्ट खेती से जुड़ी नई तकनीकों के प्रति किसानों को जागरूक करना होगा। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि बिगड़ते मौसम तंत्र, जैव विविधता पर संकट और सिंचाई के साधनों के अभाव के संबंध में व्यापक सोच रखते हुए कृषि शिक्षा को नये आयाम दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने बिना मौसम की बारिश और ओलावृष्टि से खेती पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की ओर इंगित करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन का विस्तृत अध्ययन किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि मृदा सुधार, जल शोधन और कृषि को उन्नत करने के लिए स्थानीय किसानों से संवाद करते कृषि सुधारों के लिए कार्य किया जाए। राज्यपाल ने कहा कि कृषि पद्धतियों के प्राचीन और नवीन ज्ञान का संयोजन करते हुए किसानों (Farmer) के लिए प्रभावी पद्धतियां तैयार करने की आवश्यकता है ताकि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी, खाद्य सुरक्षा हेतु खाद्य उत्पादन एवं भंडारण, पर्याप्त पोषण युक्त खाद्य उपलब्ध कराने के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। राज्यपाल मिश्र ने आठ स्वर्ण पदक विजेता और उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए चार छात्राओं को स्वर्ण पदक (Gold Medal) मिलने पर विशेष प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने विश्वविद्यालय के दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा लौह व जिंक की प्रचुरता वाली बाजरे की दो बायो-फोर्टिफाइड संकर किस्मों के विकास की भी सराहना की। उन्होंने कृषि उद्यमिता हेतु विश्वविद्यालय के इंक्यूबेशन सेंटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर भी संतोष व्यक्त किया। इस अवसर पर 32 विद्यार्थियों को पीएचडी, 75 को स्नातकोत्तर, 3 को समेकित कृषि स्नातकोत्तर उपाधियां, 985 विद्यार्थियों को कृषि स्नातक उपाधियां तथा आठ विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए ।
राज्यपाल मिश्र ने आठ स्वर्ण पदक विजेता और उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए चार छात्राओं को स्वर्ण पदक मिलने पर विशेष प्रसन्नता व्यक्त की ।
कृषि, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया (Lalchand Kataria) ने कहा कि प्रदेश में कृषि के साथ उद्यानिकी, पशुपालन, डेयरी और कृषि वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में पहल करते हुए जोबनेर में कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय परिसर में कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस एण्ड डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय प्रारम्भ किया गया है।