पाकिस्तान में मीडिया का हाल

पाकिस्तान में मीडिया की स्थिति तो पहले ही बुरी थी, अब सत्ता प्रतिष्ठान इमरान खान को निशाना बनाने के लिए मीडिया को औजार के रूप में जिस तरह इस्तेमाल कर रहा है, वह दुखद है। हाल में इमरान को बदनाम करने के लिए टेलीविजन पर एक प्रायोजित इंटरव्यू चलाया गया, जिसकी निंदा हो रही है।

Pratahkal    25-Nov-2023
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Pakistan Media 
मरिआना बाबर: दक्षिण एशिया में पत्रकारिता की बुरी है कि पाकिस्तान में अगर कोई किसी अनजान आदमी को अपना परिचय पत्रकार के रूप में दे, तो वह कहेगा कि इस मुल्क की ज्यादातर समस्याओं के लिए आप ही लोग जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान में मीडिया की स्थिति प्रिंट मीडिया की तुलना में टेलीविजन में ज्यादा खराब है, क्योंकि प्रिंट मीडिया कई फिल्टरों से होकर गुजरता है, छपने से पहले उसे संपादित किया जाता है। इसलिए प्रिंट मीडिया की स्थिति इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से थोड़ी बेहतर है। दुर्भाग्य से रेडियो समाचार पाने का कोई पसंदीदा माध्यम नहीं है। रेडियो का उपयोग ज्यादातर उन इलाकों के लोग करते हैं, जहां टेलीविजन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। लेकिन दुखद है कि प्रिंट मीडिया, जिसे मैं समाचार जुटाने का सबसे गंभीर माध्यम मानती हूं, विभिन्न कारणों से धीरे-धीरे मर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान में न्यूजप्रिंट का आयात किया जाता है, जो अब काफी महंगा हो गया है। नतीजतन अखबारों की कीमत बढ़ जाने से लोग अब ऑनलाइन अखबार पढ़ने लगे हैं। अविभाजित पाकिस्तान में न्यूजप्रिंट, स्टेशनरी और कागज के अन्य उत्पाद पूर्वी पाकिस्तान से आते थे। अखबारों की कीमत बढ़ने से मुझे सिर्फ एक व्यक्ति खुश दिखा, जो हर महीने मुझसे विभिन्न अखबारों की रद्दी का बंडल ले जाता है। उसने मुझे बताया कि जब वह रद्दी अखबारों को बाजार में बेचता है, तो पाता है कि हर महीने रद्दी की कीमत प्रति किलो ज्यादा मिलती है! लेकिन मैं जिस वजह से इस हफ्ते पत्रकारिता पर लिख रही हूं, उसे कई लोग 'मीडिया का हथियारीकरण' कहते हैं, जिसमें राज्य (सत्ता प्रतिष्ठान) अपने राजनीतिक लक्ष्यों के लिए मीडिया का इस्तेमाल करता है।
 
सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा मीडिया को आसानी से प्रभावित करने के कुछ खास कारण हैं, जिनमें से पहला कारण यह है कि यहां के मीडिया मालिकों में कोई एकजुटता नहीं है। दूसरी बात यह है कि मीडिया, खासकर प्रिंट मीडिया बहुत ज्यादा सरकारी विज्ञापनों पर निर्भर है। राज्य के पास यह शक्ति भी है कि वह केबल ऑपरेटरों को किसी भी चैनल को बंद करने का आदेश दे सकता है और ऐसा जब भी हुआ है, टेलीविजन चैनल दिवालिया हो गए हैं, क्योंकि उन पर एक साल से अधिक समय के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे हालात में, जहां लगातार मीडिया की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी है, गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता कैसे हो सकती है?
 
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद जेल में डाल दिया गया है और उनके खिलाफ ढेरों मामले दर्ज किए गए हैं। अब उन मामलों की सुनवाई जेल के भीतर हो रही है, क्योंकि राज्य को डर है कि कोर्ट में उनकी मौजूदगी और मीडिया से बात करने का अवसर उनकी लोकप्रियता को उजागर कर देगा। दरअसल सुरक्षा प्रतिष्ठान इमरान खान की लोकप्रियता से इतना डरा है कि कुछ महीने से किसी ने उनका चेहरा नहीं देखा है। हालांकि उनके परिवार के लोग और वकील उनसे मिलते हैं, लेकिन जनता को उनकी तस्वीर या वीडियो से वंचित कर दिया गया है।
 
सुरक्षा प्रतिष्ठान का मुख्य उद्देश्य पीटीआई को उसके समर्थकों और पार्टी के चुनाव लड़ने योग्य उम्मीदवारों से अलग करना है, ताकि चुनाव में कोई पीटीआई का उम्मीदवार न बन सके। हालांकि पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। इसलिए पिछले कुछ महीनों से इमरान खान के करीबी लोगों, मित्रों, पार्टी सदस्यों, समर्थकों, पीटीआई समर्थक पत्रकारों को अगवा करके महीनों के लिए हिरासत में रखा जा रहा है। हिरासत में कई लोगों को यातनाएं भी दी गई।
 
सत्ता प्रतिष्ठान की कार्य प्रणाली कुछ ऐसी है कि जब अपहृत व्यक्ति अवैध हिरासत से बाहर आने के लिए तैयार होता है, तब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाती है, जिसमें वह व्यक्ति पीटीआई और इमरान खान की आलोचना करते हुए घोषणा करता है कि वह पार्टी छोड़ रहा है, जबकि कई लोगों ने तो राजनीति ही छोड़ने की घोषणा की है। जैसा कि हमने कई बार देखा, इस हफ्ते भी टीवी चैनल का इस्तेमाल किया गया, जिसमें एक लोकप्रिय टीवी एंकर अचानक सामयिक घटनाओं के कार्यक्रम में एक पूर्व राजनेता का इंटरव्यू लेते हुए दिखाई दिया, जिन्होंने कबूल किया कि वह पीटीआई छोड़ रहे हैं।
 
एक अन्य दिन पूरे पाकिस्तान को तब झटका लगा, जब बुशरा बीवी (इमरान खान की पत्नी) के पूर्व पति खावर मनेका, जो सेवानिवृत कस्टम अधिकारी हैं, अचानक एक लोकप्रिय टीवी कार्यक्रम में आए और उन्होंने शिकायत की कि इमरान खान ने उनकी शादी बर्बाद कर दी । सार्वजनिक रूप से निजता का हनन करना और इमरान खान और बुशरा बीवी को बदनाम करना सत्ता प्रतिष्ठान की हताशा को ही दर्शाता है, क्योंकि वह इमरान खान के मनोबल को जेल में तोड़ने में सक्षम नहीं है, जहां वह कहते हैं कि वह खुश और आराम से हैं।
 
मुल्क और इस्लामी, दोनों कानूनों के लिहाज से न तो इमरान खान और न ही बुशरा बीवी ने कोई अवैध काम किया है। वे दोनों रजामंदी से मिले और उन्हें प्यार हो गया। बुशरा बीवी ने अपने शौहर से तलाक मांगा। सबको मालूम था कि इमरान खान अगले प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, इसलिए खावर मनेका ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और फिर इमरान खान ने दूसरी शादी की। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद खावर मनेका की मौज-मस्ती की खबरें लगातार आती रहीं, जिनमें उनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने की खबरें भी थीं, क्योंकि अब भी अपनी पूर्व पत्नी से उनके बेहतर रिश्ते थे । इस प्रायोजित इंटरव्यू की सभी ने निंदा की है, लेकिन इमरान खान की प्रतिष्ठा को और अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए सुरक्षा प्रतिष्ठान का प्लान बी क्या है? उनकी एक अवैध बेटी टायरन व्हाइट है, जिसे उन्होंने कभी स्वीकार नहीं किया और अब वह उनकी पूर्व पत्नी जेमिमा खान के साथ रह रही है। हो सकता है कि उन्हें शर्मिंदा करने के लिए उनका इस्तेमाल किया जाए।
 
स्वतंत्र अंग्रेजी दैनिक द डॉन ने लिखा राजनीति से प्रेरित होकर किसी के घर, विवाह, निजता का उल्लंघन एक नया कायदा है, जिसे राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए, अन्यथा हर कोई बदनामी की चपेट में आ जाएगा।