हिन्दुस्तानी फिल्मों की वैश्विक खुमारी

भारतीय फिल्मों और गीत-संगीत के लिए यह जश्न का समय है | "नाटु-नाटु" को मिला गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड संकेत है कि हमारी फिल्मों की मान्यता विदेश में बढ़ती जा रही है।

Pratahkal    17-Jan-2023
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M M Keeravani
 
जयंती रंगनाथन : यह खुमारी अभी जल्दी उतरने वाली नहीं है। आरआरआर (RRR) फिल्म के लिए संगीतकार एम एम कीरवाणी (M M Keeravani) को मिला सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का अंतरराष्ट्रीय ग्लोडन ग्लोब पुरस्कार (International Golden Globe Awards) एक खबर भर नहीं है । जिस तरह से भारतीय फिल्में (indian movies) अंतरराष्ट्रीय बाजार में नाम व पैसा कमाने लगी हैं, यह उसी क्रम में आगे बढ़ने की ओर एक सशक्त कदम है। आरआरआर पिछले साल की देश-विदेश में नाम कमाने वाली सबसे सफल फिल्म है। 'बॉलीवुड मूवी रिव्यू डॉट कॉम' (bollywood movie review.com) के अनुसार, इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड 1,069 करोड़ रूपये की कमाई की है। इन आंकड़ों में जापान से ही 24 करोड़ की कमाई भी है। पहली बार जापान में किसी भारतीय फिल्म ने इतनी बड़ी कमाई की है। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य- पूर्व तो भारतीय फिल्मों के लिए बड़ा बाजार पहले ही बन चुका है। आंकड़ों की मानें, तो 2017 से भारतीय फिल्मों की ओवरसीज में कमाई तीन गुना बढ़ी है।
 
कुछ वर्षों पहले तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाले सितारे थे, दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत (Superstar Rajinikanth) और हिंदी फिल्मों के तीनों खान - आमिर सलमान व शाहरूख। पिछले साल से इसमें एक बड़ा बदलाव आया है। बाहुबली-2 के बाद केजीएफ चैप्टर- 2 और आरआरआर ने सबसे अधिक कमाई की है। वैसे भी पिछला साल दक्षिण की फिल्मों के नाम रहा है, जो लोकप्रियता व कमाई के लिहाज से हर सूरत में बॉलीवुड को पछाड़ती नजर आई हैं। आरआरआर के इस गाने ने ऑस्कर अवॉर्ड के 'अकादमी 15 सॉन्ग शॉर्टलिस्ट' में भी अपनी जगह बना ली है। हो सकता है, इस महीने के अंत में होने वाले इस समारोह में यह फिर से बाजी जीत ले जाए। इस फिल्म की कामयाबी का एक नमूना कुछ दिनों पहले अमेरिका के चाइनीज थियेटर में देखने को मिला । गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से पहले इस फिल्म की स्क्रीनिंग के टिकट महज 90 सेकंड में बिक गए और पूरे तीन घंटे दर्शक फिल्म के दृश्य, नाच व गाने देखकर तालियां बजाते रहे। फिल्म देखने के बाद हॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जेजे अब्राहम ने कहा, 'यह फिल्म देखना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं दूसरी दुनिया में पहुंच गया हूं । नि:संदेह, राजमौली हमारे समय के एक अद्वितीय निर्देशक हैं।'
 
तेलुगु फिल्मों से अपनी जमीन बनाने वाले एसएस राजमौली की एक खास बात रही है। उन्होंने कभी ढर्रे की फिल्में नहीं बनाईं। उनकी शुरूआती फिल्मों- विक्रमकुडु मगधीरा, मर्यादा रामन्ना और ईगा ने दक्षिण में खूब धूम मचाई। जिन दिनों वह बाहुबली द बिगनिंग बना रहे थे, तब उनको लगा कि उन्हें अपनी फिल्मों को दक्षिण तक सीमित नहीं करना चाहिए। यह उनकी अति महत्वाकांक्षी और बड़ी बजट की फिल्म थी। उन्होंने हिंदी फिल्मों के नामी निर्माता-निर्देशक करण जौहर (Karan Johar) से हाथ मिलाया और बाहुबली के हिंदी डब्ड वर्जन ने दक्षिण के साथ-साथ हिंदी पट्टी में भी कामयाबी का झंडा फहरा दिया । बाहुबली के बाद जब वह आजादी की लड़ाई की पृष्ठभूमि में बनी आरआरआर की तैयारी कर रहे थे, उनके दिमाग में स्पष्ट था कि इस फिल्म को ग्लोबल बनाना है। उन्होंने हिंदी फिल्मों के दो बड़े नाम अजय देवगन और आलिया भट्ट को भी अपनी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में लिया, ताकि इसका स्वाद सिर्फ दक्षिण का न रहे। यही नहीं, जब आरआरआर को ऑस्कर (Oscar) में भेजने के लिए फिल्म फेडरेशन ने नामांकित नहीं किया, तो उन्होंने खुद अपना अंतरराष्ट्रीय बाजार बनाने का बीड़ा उठाया। वैसे भी ऑस्कर में पुरस्कार जीतने के लिए वहां जाकर अपनी फिल्म की मार्केटिंग करनी ही पड़ती है।
 
कीरवाणी पहले भारतीय गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड विजेता नहीं हैं। साल 2009 में डैनी बॉयल की फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के लिए एआर रहमान को सर्वश्रेष्ठ स्कोर श्रेणी में गोल्डन ग्लोब और फिर ऑस्कर अवॉर्ड मिल चुका है। हालांकि, आरआरआर इस मायने में हम हिन्दुस्तानियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फिल्म हमारी जमीन पर, हमारे लोगों ने बनाई है।
 
राजमौली अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए आज जो कर रहे हैं, सत्तर साल पहले हिंदी के पहले शो मैन राज कपूर कर चुके हैं। राज कपूर की फिल्म आवारा 1951 में रिलीज हुई। इसकी कामयाबी को देखते हुए उन्होंने तय किया कि वह इसे रूस ले जाएंगे। उन्होंने फिल्म को रूसी भाषा में डब करवाया और वहां के थियेटर में बाकायदा फिल्म रिलीज हुई ब्रादाग्या नाम से। इस फिल्म को देखने रूसी लोग थियेटर में उमड़ पड़े। भीषण सर्दी और बारिश में भी रूसी लाइन लगाकर इस फिल्म का टिकट खरीदने को आतुर रहते थे। रूसी राज साहब के दीवाने थे, जबकि उस समय रूस में इस फिल्म की सफलता का श्रेय मार्केटिंग को नहीं दिया गया । यह मार्केटिंग का ही करिश्मा था, जो आमिर खान की फिल्में दंगल, सीक्रेट सुपरस्टार और पीके ने चीन में जमकर कमाई की और दूसरी हिन्दुस्तानी फिल्मों बजरंगी भाईजान, बाहुबली एक और दो, केजीएफ चैप्टर 2 और आरआरआर के लिए रास्ता बनाया। इस समय हॉलीवुड भी हिन्दुस्तानी फिल्मों का सही मूल्यांकन कर रहा है। वहां बसे प्रवासी भारतीय ही नहीं, मूल विदेशी भी हिंदी और दक्षिण की फिल्में बड़े चाव से देख रहे हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म 'नेटफिल्क्स' ने हाल ही में बयान दिया कि हिन्दुस्तानी फिल्मों के दर्शक पिछले तीन वर्षों में दुनिया भर में लगभग चार गुना बढ़ गए हैं।
 
एक बात और, अवॉर्ड की घोषणा होने के बाद से सोशल मीडिया में गोल्डन ग्लोब विजेता संगीतकार एमएम कीरवाणी को लाखों लोग गूगल कर चुके हैं। हैशटैग के साथ लोग यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि नाटु-नाटु (हिंदी में नाचो - नाचो) गाने की धुन औसत है। इस गाने की कोरियोग्राफी शानदार न होती, तो यह गाना कोई सुनता भी नहीं। बेशक, कीरवाणी का यह गीत सर्वश्रेष्ठ न हो, पर पिछले तीन दशकों में उन्होंने दक्षिण व हिंदी फिल्मों में कई बेमिसाल धुनें दी हैं। वह तेलुगु फिल्मों में कीरवाणी, तमिल फिल्मों में मरगथमणि और हिंदी फिल्मों में एमएम क्रीम के नाम से संगीत देते हैं। उनके रचे हिंदी गाने गली में आज चांद निकला, चुप तुम रहो, कभी शाम ढले, धीर-धीरे जलना आदि आज भी खूब सुने जाते हैं। यह वक्त किसी एक उपलब्धि पर बात करने का नहीं, बल्कि फिल्म उद्योग को समग्रता से देखने व जश्न मनाने का है। आने वाले समय में भारतीय मनोरंजन जगत में सही कंटेंट व मार्केटिंग का यह जलवा दुनिया में और फलता- फूलता नजर आएगा ।