जेंडर न्यूट्रल होती सेना

Pratahkal    13-Jan-2023
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Army Lady Officer

देश की सेना को जेंडर न्यूट्रल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी हो रही है। आर्मी (Army) ने कहा है कि वह जल्दी ही अपने आर्टिलरी रेजिमेंट में महिला ऑफिसरों को कमिशन करने जा रही है। यह न केवल सेना के अंदर बराबरी का व्यवहार पाने के लिए संघर्ष कर रही महिला ऑफिसरों के लिए बल्कि समाज में लैंगिक समानता (Gender Equality) सुनिश्चित करने की इच्छा रखने वाले तमाम लोगों के लिए अच्छी खबर । ध्यान रहे, न सिर्फ अपने देश में बल्कि दुनिया भर में सेना को पारंपरिक तौर पर पुरूषों का क्षेत्र माना जाता रहा है। स्वाभाविक ही महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रवेश पाने और आगे बढ़ने के लिए कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करना पड़ा है। एक बड़ा अवरोध सेना के अंदर की पारंपरिक पुरूषवादी सोच (Traditional Male Thinking) भी रही है। इन तमाम दृश्य और अदृश्य रूकावटों का ही परिणाम कहेंगे कि 1990 की शुरूआत में ही 14 लाख की संख्या वाले सशस्त्र बलों में प्रवेश पा जाने के बावजूद अब तक महिला ऑफिसरों (Lady Officer) की संख्या 3,900 से कुछ ही ऊपर जा सकी है। इनमें से 1,710 महिला ऑफिसर सेना में, 1,650 वायु सेना में और 600 नौसेना में हैं। इनसे अलग 1,670 महिला डॉक्टर, 190 डेंटिस्ट और 4,750 नर्से जरूर मिलिटरी मेडिकल स्ट्रीम में हैं। लेकिन खास बात यह है कि सेना के अंदर महिलाओं को कठिन मानी जाने वाली ड्यूटी पर भेजने से बचने की प्रवृत्ति है, जिसे महिलाएं अपनी तरफ से लगातार चुनौती देती रही हैं। आज भी महिला ऑफिसरों को इन्फैंट्री के कॉम्बैट आर्म्स, आर्मर्ड कोर (टैंक) और मेकेनाइज्ड इन्फैंट्री में या नौसेना की पनडुब्बियों में तैनाती नहीं मिल सकती। बहरहाल, अपने जज्बे और कोर्ट के सहयोग से महिलाओं ने न केवल परमानेंट कमिशन हासिल कर लिया बल्कि धीरे-धीरे कठिन मोर्चों पर भी खुद को साबित करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सेना की ओर से घोषित ताजा कदम की अहमियत खास तौर पर दो वजहों से है । एक तो यह कि हालांकि आर्टिलरी को सेना का 'कॉम्बैट सपोर्ट आर्म' कहा जाता है, लेकिन यह चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) के विवादित और संवेदनशील सीमा क्षेत्रों पर तैनात यूनिटों के साथ फ्रंटलाइन पर मौजूद रहती है। दूसरी बात यह कि सेना क यह फैसला उसकी अपनी पहल पर आया है। इससे पहले महिलाओं के लिए अहम भूमिका सुनिश्चित करने से जुड़े ज्यादातर बड़े फैसले कोर्ट के आदेश के दबाव में उठाए गए। यह इस बात का संकेत है कि हमारे सशस्त्र बलों में ऊपरी स्तर पर महिलाओं को, उनमें निहित संभावनाओं को देखने का नजरिया बदल रहा है। इससे यह उम्मीद बंधती है कि सशस्त्र बलों के अंदर महिला ऑफिसर किसी भी अन्य ऑफिसर की तरह जैसे-जैसे खुद को साबित करेंगी, उनकी भूमिका अधिकाधिक प्रभावी होती जाएगी। अधिक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ते भारतीय समाज (Indian society) के लिए यह एक सुकून देने वाली बात है ।